ऑस्कर का डर

September 05 2010


‘एजुकेशनल ट्रिब्यूनल बिल’ का भविष्य अंधेरे में लगता है। महाराष्ट्र व दक्षिण के सांसदों की एक पूरी शिक्षा लॉबी इस बिल के खिलाफ है, क्योंकि इस बिल से प्राइवेट शिक्षा संस्थानों की मनमानी, अनियंत्रित कैपीटेशन फी पर रोक लग सकती है, इस बिल में इस पर ‘रेग्यूलेटर’ बिठाने का भी प्रस्ताव है। वहीं लालू-मुलायम जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों में राजनीति करने वाले नेता इस बिल का मुखर समर्थन कर रहे हैं। लोकसभा में पास होने के बावजूद यह बिल राज्यसभा में लड़खड़ा गया जहां अब भी कांग्रेस नीत गठबंधन बहुमत में है। सिब्बल का यह बिल ऑस्कर फर्नांडीस की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति में गया था, 21 तारीख को ऑस्कर ने बिल पर प्रतिकूल टिप्पणियां देते हुए इसे सिब्बल को लौटाया, पर सिब्बल ने बगैर किसी फेरबदल के उस बिल को जस का तस 25 तारीख को सदन के पटल पर रख दिया। पर इससे पहले ऑस्कर और उनके आधा दर्जन वफादार सांसद पूरे सदन में घूम-घूम कर प्रचारित कर चुके थे कि इस बिल की परवाह नहीं करनी है। सुनते हैं जालंधर में एक मिठाई की दुकान से शिक्षा माफिया बने उद्योगपति ने भाजपा के तेज तर्रार जेट महासचिव को पहले ही पटा लिया था, सो राज्यसभा में बिल की यह गत हुई।

 
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