आरोपियों को क्यों बचा रही है सरकार? |
November 27 2011 |
इस लिस्ट पर भले ही इतने सौदे-मसौदों का बाजार लग चुका है, पर सरकार इन 792 भारतीयों का नाम सार्वजनिक करने से कतरा रही है। कारण चाहे जो भी हो। पर इस बारे में सरकारी बहाने निहायत ही बचकाने हैं। भारत सरकार कहती है कि फ्रांस और भारत के बीच डबल टैक्सेशन ट्रीटी है, लिहाजा हम इन भारतीयों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते। पर किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के इन पैसों को डबल टैक्सेशन सिस्टम से क्या लेना-देना, क्योंकि अव्वल न तो यह पैसे बिजनेस कर फ्रांस में कमाए गए हैं और न ही इन 792 भारतीयों का फ्रांस के साथ कोई व्यापारिक लेन-देन का कारोबार है। यह पैसा तो शुध्द रूप से भारत का है जो टैक्स बचाने की खातिर विदेशी बैंकों में जमा है। भारत सरकार का तर्क है कि डबल टैक्सेशन ट्रीटी में आरोपियों के नाम उसी सूरते हाल में सामने लाए जा सकते हैं जब उन्हें दंडित किया जा रहा हो, अब यह तो मनमोहन सरकार ही जाने कि ब्लैक मनी के आरोपियों को बचाने में उसकी इतनी दिलचस्पी क्यों है? |
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