अडवानी के रंग में संघ ने डाला भंग

January 29 2010


वक्त की आहटों के माकूल सियासी रंग बदलने में माहिर एस.एस.आहलूवालिया समय और काल के संदर्भ में अपनी निष्ठा भी बदलते रहे हैं, कांग्रेस से विदाई हुई तो भगवा हो गए, सुषमा स्वराज के संग सियासी सीढ़ीयां चढ़ीं, वक्त बदला तो बदलकर जेतली के बगलगीर हो गए और शनै:शनै: फिर अडवानी के दरबारियों में शुमार हो गए। अडवानी की नेता प्रतिपक्ष की गद्दी गई तो बेचैन आहलूवालिया अहमद पटेल से मिले और उनके समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि सोनिया गांधी जिस तरह यूपीए की चेयरपर्सन के पद पर रहते कैबिनेट दर्जा की हकदार हैं, ठीक यही दर्जा अडवानी को भी दिया जाए, क्योंकि वे भी भाजपा संसदीय दल के चैयरपर्सन हैं। अहमद मान गए और इस प्रस्ताव पर उन्होंने कांग्रेस आलाकमान की भी मुहर लगवा ली, पर वह तो ऐन वक्त संघ के इशारे की बखूबी तामील करते नितिन गडकरी नहीं माने, गडकरी और संघ का तर्क एक था, इससे ऐसा लगेगा कि अडवानी जी अभी भी पद के लालच में है, सो अडवानी को कैबिनेट का दर्जा मिलते-मिलते रह गया।

 
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