अडवानी की 15 सितंबर की अकोला रैली पर टिकी हैं मोदी कैंप की निगाहें |
September 12 2013 |
भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण अडवानी की बदली भाव-भंगिमाओं ने मोदी कैंप व संघ की नींद उड़ा दी है। पार्टी का अडवानी विरोधी खेमा इस बात को लेकर किंचित परेशान है कि क्या अडवानी फतेहपुर सीकरी की अकोला रैली में संघ व पार्टी नेतृत्व के बारे में अपना असंतोष जाहिर करते हैं? क्योंकि बुधवार को पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से हुई अपनी बातचीत में अडवानी ने साफ कर दिया है कि अगर पार्टी उनके दिए गए सुझावों पर कान नहीं धरेगी उसकी अनदेखी करेगी तो वे सार्वजनिक रूप से अपनी बात लोगों के सामने रख सकते हैं। भाजपा से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अडवानी को मोदी पक्ष में रजामंद करने की नीयत से ही राजनाथ अडवानी के घर पहुंचे थे। राजनाथ को भरोसा था कि वे अडवानी को मोदी के पक्ष में मना लेंगे पर उनका बावस्ता एक बदले हुए अडवानी से हो गया। अडवानी ने राजनाथ की अध्यक्षीय शैली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए और उन्होंने बेहद साफगोई से राजनाथ से कहा कि ‘वे भी चार दफे पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं सो, वे अच्छी तरह जानते हैं कि एक राष्टï्रीय अध्यक्ष का पार्टी के प्रति क्या दायित्व होता है। पार्टी जनों से उनकी भावनाएं किस तरह जुड़ी होती हैं और वह एक व्यक्ति विशेष (नरेंद्र मोदी) के हक में अपने झुकाव को सार्वजनिक नहीं कर सकता।’ अडवानी ने राजनाथ से यह भी कहा कि ‘यह उनकी निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि वे नैतिकता की लड़ाई लड़ रहे हैं, पार्टी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। और यह सिर्फ उनका मामला नहीं बल्कि पार्टी के कई वरिष्ठï नेता इस तरह मोदी को पार्टी की ओर से पीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने के हक में नहीं हैं।’ अडवानी ने मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार व नितिन गडकरी के नाम लिए जो मोदी के नाम की आनन-फानन घोषणा किए जाने के खिलाफ हैं। अडवानी ने राजनाथ से यह भी कहा कि ‘आज देश में भाजपा के पक्ष में एक बेहद सकारात्मक माहौल है, ऐसे में हम मोदी का नाम आगे कर अगली सरकार थाली में परोस कर कांग्रेस को देना चाहते हैं।’ सूत्र बताते हैं कि जब राजनाथ ने अडवानी को यह समझाना चाहा कि अभी मोदी के पक्ष में देश का जनमानस है और संघ की भी यही इच्छा है कि लोकसभा का अगला चुनाव मोदी के नेतृत्व में और उनके नाम पर लड़ा जाए, तो अडवानी ने राजनाथ से प्रश्न किया कि अगर संघ सचमुच में ऐसा चाहता है तो मोदी के नाम का निर्णय को उसने हमारे उपर क्यो छोड़ा है? वह निर्णय लेकर हमें इससे अवगत करा सकता था। एक तरह से अडवानी ने साफ कर दिया है कि वे मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर अब भी विरोध में हैं। अगर पार्टी 5 राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों के बाद इस बारे में विचार करने को तैयार है तो वे भी इस बारे में कुछ सोच सकते हैं। |
Feedback |