Archive | June, 2024

नए एनडीए साथी की तलाश में भाजपा

Posted on 11 June 2024 by admin

नायडू व नीतीश की दबाव की राजनीति से पार पाने के लिए भाजपा को अपने लिए कुछ नए गठबंधन साथियों की तलाश है, सो शिनाख्त के कार्य जारी हैं। मन तो शरद पवार व उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं के भी टटोले जा रहे हैं। वहीं छोटे पाटर्नर पर भी डोरे डाले जा रहे हैं, जैसे इस बार आंध्र में मैदान चूक गए जगन मोहन रेड्डी की भी भाजपा नेतृत्व सुध ले रहा है, जिनके लोकसभा में 4 सांसद हैं। पर भाजपा के इस आइडिया का चंद्रबाबू नायडू पुरकश विरोध कर रहे हैं। वे तो जगन मोहन को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं। इसके तार चंद्रबाबू के रिश्ते में भाई वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी से जुड़े हैं, जो राज्य मंत्री थे और सन् 2019 में उनकी हत्या हो गई थी। चंद्रबाबू अब इस पूरे मामले की नए सिरे से पड़ताल चाहते हैं।

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चंडीगढ़-पंजाब में आप-कांग्रेस की धाक

Posted on 11 June 2024 by admin

बेवफा तेरे आने का हर तरफ इतना शोर क्यों है

तूने एक चेहरे पर लगा रखे हैं हजार चेहरे पर तू मेरी ओर क्यों है’

जम्हूरियत के सबसे बड़े महापर्व की समापन बेला आ पहुंची है। लोकतंत्र के तोरणद्वार से जनादेश की धीमी-धीमी आहटें भी सुनाई देने लगी हैं, कोई अब भी सड़क पर है तो कोई विवेकानंद शिला पर नई सियासी भंमिगाएं गढ़ने में व्यस्त हैं। इस 1 जून को पंजाब की 13 और चंडीगढ़ केंद्र शासित सीट पर मतदान संपन्न हुआ। मजे की बात तो यह कि पंजाब में भाजपा ने 13 सीटों पर जो अपने प्रत्याशी उतारे इनमें से 11, अन्य पार्टियों से आयातित थे। इस दफे चूंकि शिरोमणि अकाली दल भी भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहा था तो उसकी कोई खास  वक्त देखी नहीं गई। अकाली पूरी तरह इन चुनावों में दरकिनार होते दिखे सो, उन्होंने ’ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का पुराना राग अलापना शुरू कर दिया। 1 जून को ही ’ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की चालीसवीं बरसी थी। सो, इस मौके को भुनाने के लिए अकालियों ने पंजाब के गुरूद्वारों के बाहर पोस्टर लगा दिए, ताकि राज्य में कांग्रेस की संभावनाओं को कम किया जा सके। रही बात चंडीगढ़ की तो यहां शुरूआत में कांग्रेसी दिग्गज मनीष तिवारी कमजोर पिच पर खेलते नज़र आए, पर 20 मई के बाद धीरे-धीरे उन्होंने अपने पक्ष में माहौल बना लिया। उन्होंने चंडीगढ़ के ’गर्वनेंस मॉडल’ को परिभाषित करने के लिए अपना एक विजन डॉक्यूमेंट ’सिटी स्टेट मॉडल’ भी रिलीज किया जो खासा चर्चा में रहा। मनीष को चंडीगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आप-कैडर का भरपूर साथ मिला। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी उनके पक्ष में चुनावी अलख जगाने के लिए चंडीगढ़ पधारे। आईं तो प्रियंका गांधी भी, जब वो राजीव शुक्ला के साथ हेलिकॉप्टर से चंडीगढ़ उतरीं तो हेलीपैड पर उनकी निगाहें किसी और को ढूंढ रही थीं वे थे कांग्रेस के सीनियर नेता पवन बंसल। प्रियंका को जैसे ही मनीष ने रिसीव करते हुए फूलों का गुलदस्ता भेंट किया तो प्रियंका ने एक झटके में मनीष से पूछ लिया, ’पवन बंसल जी नहीं आए?’ तो मनीष ने किंचित भावुक होते हुए कहा-’मैंने उनसे रिक्वेस्ट की थी, उनसे फोन पर भी रोजाना बात हो जाती है, पर चुनाव में वे मेरे साथ नहीं आए।’ इस पर प्रियंका ने अपने सचिव से बंसल को फोन लगाने को कहा, जैसे ही बंसल लाइन पर आए प्रियंका ने छूटते ही उनसे कहा, ’मैं एक जनसभा को संबोधित करने जा रही हूं, आप भी मंच पर उपस्थित रहिएगा।’ यह सुनने भर कि देर थी कि बंसल भागे-भागे सभा स्थल पर जा पहुंचे और मंच पर अवतरित हो गए। इस घटना के बाद ही बंसल चंडीगढ़ के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी सक्रिय दिखे। 

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सुर बदलता गोदी मीडिया

Posted on 09 June 2024 by admin

हवा का रुख जरा क्या बदला दिल्ली के चारण गान के अभ्यस्त गोदी मीडिया ने बेवफाई के सुर बिखेरने शुरू कर दिए हैं। ताजा मामला एक बड़े टीवी न्यूज नेटवर्क का है जिन्हें मोदी भक्ति के आगाज़ का श्रेय जाता है, इन चुनावों से चंद रोज पूर्व हवा का रुख बदलते देख इस चैनल ने भी तेजी से अपने सुर बदल लिए, जिसका उसे फायदा भी मिला और चैनल की टीआरपी कुछ दिनों में ही डबल हो गई। पहले तो दरबारी चैनलों के साथ कदमताल करते इस चैनल ने भी वही अपना 400 वाला कथित तौर पर प्रायोजित ‘एग्जिट पोल’ दिखा दिया, बाद में यह कहते हुए चैनल ने अपने ‘एआई’ का हवाला देते हुए आंकड़े बदल दिए और एनडीए को 305 सीटें दिखाने लगा। चुनावी नतीजे आए तो अपने ‘एआई सर्वे’ को आगे रख चैनल ने अपनी पीठ स्वयं थपथपानी शुरू कर दी और साथ ही ‘एग्जिट पोल’ में गलतियों को लेकर अन्य चैनलों के बखिया उधेड़ना शुरू कर दिया। इस चैनल को हालिया दिनों में एक नया सीईओ मिला है जो कुछ अलग कर दिखाना चाहता है और अपने चैनल की पुरानी इमेज को भी ध्वस्त कर इसे  नया करना चाहता है। सो, पीएमओ के वे शक्तिशाली अधिकारी पिछले काफी समय से चैनल के सीईओ को फोन कर रहे हैं, पर इस उत्साही सीईओ की हिमाकत तो देखिए कि वह उस ‘सर्वशक्तिमान’ के फोन ही नहीं ले रहा। 

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क्या काशी मंथन से निकलेगा अमृत?

Posted on 09 June 2024 by admin

पाठकों को शायद इल्म हो कि इसी कॉलम में 2 जून को लिखा गया था कि यूपी के चुनावी नतीजे खासा चौंकाने वाले होंगे, और जब 4 जून को नतीजे आए तो हुआ भी वही। खास कर वाराणसी के चुनावी नतीजों से भाजपा खेमा बेहद सकते में हैं, कहां तो भाजपा चाणक्य का दावा था कि मोदी बनारस में 10 लाख वोट मार्जिन से जीतेंगे, पर मोदी ने अब तक के सिटिंग पीएम में सबसे कम वोट मार्जिन यानी 1 लाख 52 हजार से जीत दर्ज करा सबको सकते में डाल दिया। वाराणसी की चुनावी बागडोर सीधे भाजपा चाणक्य के हाथों में थी, जिन्होंने वाराणसी के पांचों भाजपा विधायकों से पहले से कह रखा था कि ’उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों से पीएम के हक में कम से कम दो लाख वोट कास्ट करवाने हैं।’ भाजपा का दावा है कि मोदी के काशी से सांसद निर्वाचित होने के बाद से यहां कम से कम 13 हजार करोड़ के विकास कार्य हुए हैं। वाराणसी में पूरे समय प्रदेश के 3 मंत्री, 8 विधायक, 3 एमएलसी, मेयर व जिला पंचायत अध्यक्ष मोदी के पक्ष में अलख जगाते रहे। शाह ने अपने बेहद भरोसेमंद सुनील बंसल, अश्विनी त्यागी, डॉ. सतीश द्विवेदी, अरूण पाठक, सुरेंद्र नारायण सिंह, हंसराज विश्वकर्मा, राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र, रवींद्र जायसवाल व महानगर अध्यक्ष विद्या सागर राव को यहां के चुनावी समर में झोंक रखा था। इसके अलावा बीस लोगों की एक कोर टीम भी तैयार की गई थी। चुनाव से पहले ’स्पेशल 100 डेज’ कैंपेन भी चलाया गया था और स्वयं पीएम मोदी ने अपने हस्ताक्षर से क्षेत्र के 2000 प्रबुद्द व गणमान्य लोगों को समर्थन देने के लिए चिट्ठी भी लिखी थी। इस पूरी प्लॉनिंग में बस एक कमी रह गई जो राज्य के मुख्यमंत्री योगी को इस योजना से बाहर रखा गया था, शायद यही बात सारे फैक्टर पर बीस साबित हो गई।

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भाजपा में बागी स्वरों के प्रस्फुटन

Posted on 09 June 2024 by admin

व्यक्ति केंद्रित नैतिक बल की टंकार को भी क्या अपनों से ही चुनौती मिलने लगी है? अस्फुट सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इस दफे महाराष्ट्र के भाजपा व उनके सहयोगी दलों के निर्वाचित सांसदों ने अपनी एक नई मांग बुलंद कर दी कि इस बार एनडीए का पीएम तो महाराष्ट्र से होना चाहिए। कहते हैं इसके बाद पांच की रात भाजपा के चार दिग्गज नेता यानी शाह, नड्डा, गडकरी व राजनाथ एक चार्टर्ड फ्लाइट से भागे-भागे नागपुर पहुंचे जहां संघ के शीर्ष नेतृत्व से उनकी एक लंबी बात हुई। इन नाराज़ सांसदों को मनाने का जिम्मा संघ शीर्ष को सौंपा गया और ये चारों नेता उसी रात उस विशेष विमान से फिर दिल्ली वापिस लौट आए। सूत्रों की मानें तो कुछ संघ नेताओं ने भी इस दफे पीएम पद के लिए शिवराज सिंह चौहान व नितिन गडकरी के नाम आगे किए थे। पर चूंकि अगले ही साल संघ की सौवीं जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जानी है और इसका खाका संघ नेतृत्व ने मोदी के साथ बैठ कर पहले से तय कर रखा है, सो संघ नेतृत्व के स्तर पर अभी कोई नया प्रयोग नहीं करना चाहेगा। वैसे इसी साल अभी महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली जैसे अहम राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जहां भाजपा कमजोर पिच पर बैटिंग कर रही है। इसके अगले साल दिसंबर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं तब मोदी 75 साल के भी हो जाएंगे, शायद वह वक्त संघ शीर्ष के लिए भाजपा शिखर नेतृत्व में बदलाव के मानिंद बात-विचार करना ज्यादा मुफीद रहेगा।

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नीतीश कुमार को हल्के में न ले भाजपा

Posted on 09 June 2024 by admin

जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार बकायदा इन कयासों से बाखबर हैं कि उनके तीर को अपने तरकश में करने के लिए भगवा पार्टी कभी भी ’ऑपरेशन लोट्स’ चला सकती है सो इस दफे वे अपना हर कदम बहुत फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। भले ही वे जाहिरा तौर पर मोदी व भाजपा के समक्ष नतमस्तक दिखे, पर अपने सांसदों को एकजुट रखने की इस बार उनकी चाक-चौबंद तैयारी है। सूत्रों की मानें तो नीतीश ने अपने दो अत्यंत विश्वासपात्र लोगों को अपने सांसदों की निगरानी व उनका ट्रैक रखने का जिम्मा सौंपा है। विश्वस्त सूत्रों के दावों पर यदि यकीन किया जाए तो 1 जून को जब सातवें और आखिरी दौर का मतदान संपन्न हुआ तो भाजपा शीर्ष की ओर से नीतीश को दिल्ली तलब किया गया था और तब दिल्ली ने उनसे कहा था कि ’उन्हें जो बिहार से खुफिया रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसमें कहा जा रहा है कि इस दफे राज्य में जदयू का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहेगा, सो बेहतर है कि आप केंद्र में मंत्री बन जाएं और बिहार में सीएम पद भाजपा के लिए खाली कर दें।’ नीतीश इस पर बिना कुछ बोले पटना वापिस लौट आए पर 4 जून के बाद नीतीश ने भाजपा की बदली हुई भाव भंगिमाओं के दीदार किए। उन्हें रेल के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय का भी ऑफर आ गया, नीतीश ने भी एक कुशल कलंदर के मानिंद रिंग में अपनी टोपी उछालते हुए कहा कि ’क्या इस बार उनकी पार्टी के लिए लोकसभा में स्पीकर का पद मिल सकता है?’ फिर भौंचक भाजपा को नीतीश ने नायडू के सुर में सुर मिलाते हुए कह कर चौंका दिया कि ’ये दोनों ही नेता चाहते हैं कि एनडीए 3.0 की सरकार भी वैसे ही चले जैसे वाजपेयी जी के जमाने में चला करती थी। हमारे मंत्रियों पर सचिव पीएमओ अपनी मर्जी से नहीं थोपेगा और न ही उनके संबंधित मंत्रालय की हर फाइल अनुमोदन के लिए पीएमओ जाया करेगी, मंत्रियों को निष्पक्ष व स्वतंत्र तरीके से अपने मंत्रालयों को चलाने दिया जाएगा।’ सूत्र यह भी बताते हैं कि नायडू व नीतीश ने आपस में बातचीत कर पहले से यह तय कर लिया है कि अगर वाकई इन दोनों नेताओं को अपने दलों को टूटने-बिखरने से बचाना है, व ’ऑपरेशन लोट्स’ के झंझटों से पार पाना है तो उन्हें भाजपा से स्पीकर पद तो मांगना ही होगा।

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जब चंद्रबाबू केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात करने लगे

Posted on 09 June 2024 by admin

बड़े जोर की आंधियां चलीं इस बार कि ऊंचे दरख्तों के तोड़ गई गुमां 

इस चक्कर में टूटे वे पेड़ भी जो कभी छांवों को दिया करते थे पनाह’

पीएम मोदी के तीसरे टर्म का राज सिंहासन सज-धज कर तैयार है, सियासत की नई बेलें भी इस पर अठखेलियां करने के लिए मचल रही हैं, पर 2024 के चुनावी परिणामों के निहितार्थ भगवा रंगमंच से जनादेश के मुखर बोल लिए नए किरदारों के लिए जगह खाली करने को कह रहे हैं। मोदी सरकार के दो अहम गठबंधन साथियों में से एक नीतीश को मनाना भाजपा के लिए किंचित आसान रहा, इसकी बानगी एनडीए की मीटिंग में भी देखने को मिली जब जदयू सुप्रीमो मोदी के सम्मान में इतने झुक गए कि उनके चरणस्पर्श को आतुर हो गए। इसके दीगर चंद्रबाबू नायडू को मनाने के लिए भाजपा शीर्ष को वाकई पापड़ बेलने पड़ गए। नायडू से बात करने के लिए पीएम ने तीन लोगों यानी अमित शाह, जेपी नड्डा व राजनाथ सिंह को अधिकृत किया था। माना जाता है कि शुरूआत में नायडू की मांगों की फेहरिस्त काफी लंबी थी, वे लोकसभा स्पीकर के साथ वित्त, नगर विकास, उड्डयन जैसे अहम मंत्रालय भी मांग रहे थे। फिर भाजपा की ओर से उनसे कहा गया कि ’वे अपने संभावित मंत्रियों की सूची अभी सौंप दें, मंत्रालय के निर्णय रविवार के बाद हो जाएंगे’ पर इस पर नायडू नहीं माने, उन्होंने अपनी ओर से एक विकल्प यह भी पेश कर दिया है कि ’अगर भाजपा चाहें तो तेदेपा केंद्र सरकार को बाहर से भी समर्थन दे सकती है,’ पर भाजपा का डर है कि चूंकि ‘इंडिया ब्लॉक’ अखिलेश व शरद पवार के मार्फत निरंतर नायडू के टच में है, सो उनका ऐसा कोई भी कदम एनडीए 3.0 सरकार के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।

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महुआ से डरे दो लोग

Posted on 02 June 2024 by admin

4 जून के नतीजों को लेकर दो लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। इनमें से एक हैं बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी और दूसरे हैं महुआ मोइत्रा के भूले-बिसरे मित्र और सुप्रीम कोर्ट में वकील अनंत देहादेराई। जिन्होंने गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे के साथ मिल कर ’कैश फॉर क्यूरी’ मामले का आरोप इन तृणमूल नेत्री पर मढ़ा था जिसकी परिणति थी कि 8 दिसंबर 2023 को महुआ मोइत्रा को अपनी सांसदी गंवानी पड़ी। सूत्रों की मानें तो पिछले कई दिनों से दर्शन और अनंत दोनों ही अलग-अलग अपने सूत्रों के मार्फत इस तथ्य को खंगालने में जुटे थे कि क्या वाकई इस बार भी महुआ बंगाल से लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंच जाएंगी? अब तक इन दोनों को जो संकेत मिल रहे हैं उससे तो यही लग रहा है कि महुआ तो अच्छे मार्जिन से चुनाव जीत रही हैं। इन दोनों की पेशानियों पर बल देख कर फिलवक्त तो यही लगता है।

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जयंत की असली चिंता

Posted on 02 June 2024 by admin

राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी नए-नए भगवा ताने-बाने में ढले हैं, पर वे भी इन दिनों खुद को ठगा-ठगा महसूस कर रहे हैं। पश्चिमी यूपी में जब तक चुनाव चल रहे थे तो जयंत को भाजपा वाले पहचान भी रहे थे कुछ भाव भी दे रहे थे, खास कर जाट बहुल इलाकों में। लेकिन लगता है कि भाजपा में जयंत का अब कोई सुधलेवा बचा नहीं है। मिसाल के तौर पर इसी 29 मई को चौधरी चरण सिंह की पुण्य तिथि थी इस बड़े किसान नेता को पीएम मोदी ने ताजा-ताजा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़ा है। सो, जयंत को पूरी उम्मीद थी कि दिल्ली के किसान घाट पर उनके दादा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए भाजपाइयों की भारी भीड़ जुटेगी, पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी क्योंकि किसी छुटभैय्ये भाजपा नेता ने भी वहां पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जरूर आए पर वो भी सिर्फ इस वजह से कि उन्हें एक बड़े जाट नेता के पक्ष में कदमताल करनी थी।

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राहुल का दो टूक फैसला

Posted on 02 June 2024 by admin

इस बार बदले-बदले सरकार नज़र आते हैं। राहुल गांधी अपने एक नए अवतार में हैं, वे न सिर्फ राजनीतिक रूप से परिपक्व हुए हैं बल्कि त्वरित निर्णय लेने में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। राहुल ने अपनी कोर टीम को ऐसे पार्टी नेताओं की शिनाख्त का काम सौंपा था जो नेतागण पार्टी के अंदर रह कर पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं। राहुल पूरे देश में घूम-घूम कर चुनाव प्रचार करते रहे बावजूद इसके वे जिन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे थे वहां के नेताओं की उनके पास एक पूरी लिस्ट होती थी। उन्हें जैसे ही किसी नेता के बारे में पता चलता कि टिकट न मिलने की वजह से वे नाराज़ होकर अपने घर में बैठे हैं तो राहुल फौरन यह कहते नज़र आते थे कि ’क्या यह घर में बैठने का समय है।’ वे किंचित आवेश में आकर यह कहने से भी नहीं चूकते कि ’अगर ये चुनाव प्रचार में नहीं निकल रहे तो इन्हें बाहर का रास्ता दिखाओ।’ दिल्ली कांग्रेस के मामले में भी ऐसा ही हुआ था, जब राहुल को खबर मिली कि अरविंदर सिंह लवली की अगुवाई में शीला दीक्षित गुट पार्टी के खिलाफ काम कर रहा है तो उन्होंने अपने बड़े नेताओं से कहा कि ’फौरन प्रेस कांफ्रेंस कर इन्हें बाहर का दरवाजा दिखाएं।’ लवली तो भाजपा में रम गए? पर कन्हैया कुमार को टिकट मिलने से नाराज़ संदीप दीक्षित ने भंगिमाएं बदल लीं और वे फौरन बेमन से ही सही पार्टी के काम में जुट गए।

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