लोकसभा में इस गुरूवार की रात चंद्रयान-3 की सफलता की चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी अपने साथी सांसद बसपा के कुंवर दानिश अली से उखड़ गए और उन्हें निशाने पर लेकर अंटशंट बकने लगे और उनके समुदाय को लेकर भी कुछ अप्रिय टिप्पणियां कर दीं, इस बात से भाजपा के अपने मुस्लिम नेता भी उखड़े हुए हैं। भाजपा के एक पुराने मुस्लिम नेता स्वीकार करते हैं कि ’हमारी मजबूरी है कि हम जाएं कहां, कांग्रेस जैसे दल भी अब हिंदुओं को खुश करने की राजनीति कर रहे हैं।’ इसी माहौल को हवा देने के लिए उज्जैन के एक संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिख कर उनसे मांग की है कि ’अगर भाजपा सचमुच सनातन को बढ़ावा देना चाहती है तो 5 प्रतिशत सीटों से संतों को मैदान में उतारें ताकि वे चुनाव जीत कर संसद में पहुंच कर सनातन के पक्ष में अलख जगा सकें।
’रोशनी के कितने शफ्फाक धागों से मिल कर बना है तेरा ये चेहरा
अंधेरों से महफूज हैं तेरे ये किरदार पर इन पर तेरा अक्स है गहरा’कोई 10 महीनों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी नई टीम की घोषणा करने में सफल रहे, कांग्रेस की नीति निर्धारक कमेटी सीडब्ल्यूसी का आकार भी 23 से बढ़ा कर 39 कर दिया गया, इसके बावजूद खड़गे पर यह आरोप चस्पां हो रहा है कि ’उनकी टीम पर सोनिया गांधी की चाहतों की छाप है।’ इन 39 में से 11 ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने पिछले दस सालों से ज्यादा वक्त से कोई चुनाव नहीं लड़ा है, वे बस राज्यसभा के सहारे ही कांग्रेस में अपनी दुकान चला रहे हैं। इस टीम में चुनाव हार चुके नेताओं का भी खासा दबदबा है, इस कड़ी में अजय माकन, जगदीश ठाकोर, गुलाम अहमद मीर, सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह, तारिक अनवर, मीरा कुमार, भवर जितेंद्र सिंह, मुकुल वासनिक व दीपा दास मुंशी के नाम शामिल हैं। इस नई टीम में कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 का भी दबदबा दिखता है, चाहे वह मनीष तिवारी हों, शशि थरूर, आनंद शर्मा या फिर मुकुल वासनिक, खड़गे ने इन्हें अपनी नई टीम में जगह दी है। सूत्रों की मानें तो इन 39 में से बस दो लोग ऐसे हैं जिन्हें आप खड़गे भरोसेमंद मान सकते हैं, ये हैं गुरदीप सप्पल और राज्यसभा सदस्य नासिर हुसैन। सप्पल को दिल्ली से लाया गया है, जहां कांग्रेस का कोई खास वजूद बचा नहीं है, सबसे खास बात तो यह कि सप्पल को अपनी टीम में लेने के लिए खड़गे ने दिल्ली के पुराने नेता जयप्रकाश अग्रवाल की भी अनदेखी कर दी, हालिया दिनों में जेपी अग्रवाल से मध्य प्रदेश का प्रभार भी ले लिया गया है और उनकी जगह वहां रणदीप सुरजेवाला को भोपाल भेजा गया है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल के भी पर कुतरे गए हैं, अब तक पार्टी की मान्य परंपराओं के मुताबिक कोषाध्यक्ष को सीडब्ल्यूसी के स्थाई सदस्यों में जगह मिलती रही है, पर बंसल को ‘परमानेंट इन्वाइटी’ करार दिया गया है, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के दौरान बंसल ने भी चुनाव लड़ने के लिए एक फॉर्म खरीदा था, क्या इस बात को खड़गे अब भी भूले नहीं हैं? वहीं अपने खिलाफ चुनाव लड़े जी-23 के एक अहम सदस्य शशि थरूर को उन्होंने अपनी टीम में जगह दे दी है। वैसे तो राहुल दुलारे इमरान प्रतापगढ़ी की उपेक्षा भी हैरान करने वाली है, शायद अतीक अहमद प्रकरण की वजह से उनका नाम लिस्ट से कट गया और उनकी जगह नासिर हुसैन को प्राथमिकता दी गई। सोनिया के वरदहस्त की वजह से एके एंटोनी को नई टीम में जगह मिल गई, जबकि उनके पुत्र अनिल एंटोनी भाजपा में शामिल होकर भगवा पार्टी के पक्ष में अलख जगा रहे हैं।
महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर से उनकी जन्म स्थली गुजरात के पोरबंदर से राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करेंगे। इस दूसरी चरण की यात्रा के संयोजन के कार्य में केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश पिछले काफी समय से जुटे हुए हैं। पहली यात्रा में दिग्विजय सिंह की भी बड़ी भूमिका थी, पर इस बार उनके रोल को कांट-छांट कर छोटा कर दिया गया है। इसकी वजह बताई जा रही है कि मध्य प्रदेश के आसन्न विधानसभा चुनाव को, जिसमें दिग्विजय एक्टिव रहना चाहते हैं, वे अपने खास लोगों के लिए टिकट भी चाहते हैं और घूम-घूम कर प्रदेश में चुनाव प्रचार भी करना चाहते हैं। हालांकि आयोजकों के लिए इस दूसरी यात्रा का प्रबंधन कार्य कोई चुनौतीपूर्ण नहीं, क्योंकि पहली यात्रा का पूरा खाका उनके समक्ष हाजिर है। पहली यात्रा में यात्रियों के ठहरने के लिए कांग्रेस ने आधुनिक वातानुकूलित कंटेनर खरीद लिए थे, अब बस उन्हीं कंटेनर को झाड़ पोंछ कर बस चमकाया जा रहा है। राहुल ने अपनी पहली भारत जोड़ो यात्रा में 3,500 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय की थी, उसकी तुलना में पोरबंदर से पूर्वोतर की यह यात्रा थोड़ी छोटी रहेगी, और कमोबेश यह पांच चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व मिजोरम से गुजरेगी, राहुल तेलांगना भी जाना चाहते हैं, पर वहां की तैयारियों को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति है। पहले यह यात्रा असम के कामाख्या देवी मंदिर में समाप्त होनी थी, पर मणिपुर के ताज़ा हालात को मद्देनज़र रखते इसे अरूणाचल प्रदेश के लोहित जिले के परशुराम कुंड में समाप्त किया जा रहा है, जहां जनवरी माह में एक बड़ा मेला लगता है, जिसे नार्थ ईस्ट का कुंभ भी कहा जाता है। सनद रहे कि राहुल ने अपनी पहली भारत जोड़ो यात्रा 136 दिनों में पूरी की थी।
मोदी सरकार के पास हर मर्ज की एक अचूक दवा है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद जब ईडी प्रमुख संजय मिश्रा की रिटायरमेंट अवधि 15 सितंबर तक सीमित हो गई तो सरकार ने इसकी भी एक काट ढूंढ निकाली। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के दखल से पहले ईडी प्रमुख को दो अहम सेवा विस्तार पहले ही दिए जा चुके थे। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने सीडीएस यानी ‘चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेस’ की तर्ज पर सीआईओ यानी ’चीफ ऑफ इंवेस्टिगेशन ऑफिसर ऑफ इंडिया’ का नया पद सृजित करने का मन बना लिया है। अगर संजय मिश्रा इस नवसृजित पद के पहले दावेदार हैं तो फिर देश की दो अहम जांच एजेंसियां यानी सीबीआई और ईडी के मुखिया उन्हें रिपोर्ट करेंगे। यह नवसृजित पद भारत सरकार के सचिव के रैंक का होगा और सीआईओ सीधे पीएम को रिपोर्ट करेगा। 2018 से ही संजय मिश्रा ईडी प्रमुख पद पर काबिज हैं। कभी वे अहमद पटेल, पी.चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी जैसे नेताओं के बेहद भरोसेमंद नौकरशाहों में शुमार होते थे, दिल्ली का निज़ाम बदला तो उनके भी रंग बदल गए। कहते हैं संजय मिश्रा बेहद सादगी से जीवन जीने के कायल हैं, पिछले दिनों उन्होंने अपने घर के सारे एसी उतरवा दिए, उनका यह संन्यासीपन वाला बिंदास अंदाज पीएम मोदी को भी खूब रास आता है। पर विपक्षी दल मिलजुल कर यह बात उठा रहे हैं कि ’जहां जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं वहीं थोकभाव में ईडी के छापे क्यों पड़ते हैं? और अब तक जिन नेताओं को ईडी ने छापे के बाद जेल भेजा है उन पर वह आरोप क्यों नहीं सिद्द कर पायी है?’
केंद्र सरकार ने प्रिंट मीडिया, टीवी न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया को तमाम कड़े कानूनों के दायरे में ला खड़ा किया है। पर अब तक वह डिजिटल मीडिया पर नकेल नहीं कस पाई है। सो, डिजिटल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय एक नया कानून लाने की तैयारी कर रहा है। शुरूआत में पीआईबी ने ’फैक्ट चेक’ करना शुरू किया, इसके बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने खबरों के फैक्ट चेक के लिए एक और यूनिट का गठन कर दिया। केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर चलते कर्नाटक सरकार के आईटी-बीटी विभाग ने पिछले दिनों राज्य में एक ’फैक्ट चेक’ यूनिट का गठन किया है, इस यूनिट का काम सोशल मीडिया पर आ रही फर्जी खबरों की पड़ताल का है। सबसे दिलचस्प तो यह कि कर्नाटक सरकार में यह मंत्रालय मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे के अधीनस्थ आता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इस यूनिट के गठन पर सफाई देते हुए कहा है कि ’ऐसी फर्जी खबरों से ही समाज में ध्रुवीकरण होता है।’ अब कर्नाटक की इस ’फैक्ट चेक’ अभियान के निशाने पर भाजपा की सोशल मीडिया इकाई के प्रमुख अमित मालवीय आ गए हैं, यूनिट का मानना है कि ’इनके हेंडल से ही राहुल गांधी के खिलाफ अपमान जनक पोस्ट डाली जाती है।’
सूत्रों की मानें तो भारत में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत आने के लिए हामी भर दी है। पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत आना संदेह के घेरे में है, अब कहा जा रहा है कि वे ‘हाइब्रिड मोड’ से यानी कि ऑनलाइन इस शिखर सम्मेलन से जुड़ेंगे। पुतिन की जगह रूस के विदेश मंत्री इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे। हालांकि पुतिन को भारत आने में कोई खतरा नहीं था, क्योंकि भारत ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की उस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे जिसके तहत पुतिन गिरफ्तार किए जा सकते थे। जबकि कोरोना के बाद आयोजित होने वाले इस जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए किसी हाइब्रिड मोड का विकल्प नहीं रखा गया था, राष्ट्राध्यक्षों को इस बैठक में ‘इनपर्सन’ ही शामिल होना था, पर लगता है पुतिन के लिए नियमों में ढील दी जा रही है। वैसे भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को इस बैठक में आने का न्यौता ही नहीं भेजा गया, जिसके बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जेलेंस्की से बात कर इस पर दुख जताया है।
’मेरे घर को अब तलक रौशन करने के लिए तेरा बहुत शुक्रिया
अब वक्त है तेरे जाने का मुझे मिल गया है दीया एक नया’
क्या भाजपा नेतृत्व को राजस्थान में अपने देदीप्यमान आस्थाओं की एक नई देवी मिल गई हैं? ’वसुंधरा नहीं तो भाजपा नहीं’ का खटराग अलापने वाले महारानी के समर्थक क्या सकते में हैं? क्या इस दफे के राजस्थान के चुनाव में भगवा आस्थाओं में उसके घर के चिराग से ही आग लग सकती है?’ इस बार जब अमित शाह जयपुर आए तो उनकी राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ कोई चालीस मिनट तक वन-टू-वन बातचीत हुई। अगर भाजपा शीर्ष की भंगिमाएं बदली हुई थी, तो तेवर वसुंधरा के भी कहीं तल्ख थे। शाह ने महारानी के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि ’भाजपा नेतृत्व चुनावी राज्यों में नया नेतृत्व उभारना चाहता है।’ कहते हैं कि इसके जवाब में वसुंधरा ने कहा-’दो बार मैंने प्रदेश में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई, मेरे चेहरे के बगैर न तो कार्यकर्ताओं में जोश आएगा और न ही पार्टी चुनाव में जोरदार प्रदर्शन कर पाएगी।’ शाह ने वसुंधरा की बातों को धैर्यपूर्वक सुना और कहा-’ठीक है हम इस पर विचार कर सकते हैं अगर आप झालरापाटन की जगह इस बार अशोक गहलोत के खिलाफ सरदार शहर से चुनाव लड़ जाएं।’ यानी कि शाह का इशारा साफ था, एक तीर से दो शिकार, वसुंधरा की गलहोत से दोस्ती भी खत्म हो जाएगी और उनकी सीएम पद की चुनौती भी। वहीं भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बड़े सुविचारित तरीके से जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी के नाम को आगे बढ़ा रहा है। हालांकि दीया लोकसभा की सांसद हैं, फिर भी उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाने की तैयारियां हो रही है। क्योंकि अगर राजस्थान में इस दफे कमल खिला तो सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदारी दीया कुमारी की ही रहने वाली है। रही बात वसुंधरा की तो अगर वह बागी हुई तो केंद्र सरकार के पास ‘ईडी’ है न!
Comments Off on क्या वसुंधरा के मन के अंधेरों का काट है यह दीया?
2024 के आम चुनाव के लिए भाजपा ने अभी से कमर कस ली है। नए चुनावी मुद्दों को झाड़ पोंछ कर चमकाया जा रहा है। अब भाजपा रणनीतिकार दो नए चुनावी मुद्दों को धार देने में जुटे हैं-पहला ’हर घर नल योजना’ और दूसरा ’स्वदेशी कोविड वैक्सीन’। कोविड वैक्सीन को लेकर जो प्रचार बुना गया है उसमें कहा गया है-’कोविड वैक्सीन-कॉज फॉर ग्लोबल गुड’ इस विज्ञापन में यह कहने की तैयारी है कि ’योग और भारत में निर्मित दो वैक्सीन से दुनिया ने मजबूती से कोविड महामारी का सामना किया। यही है न्यू इंडिया!’ दूसरा विज्ञापन ’हर घर नल’ को लेकर है, जिसका नारा है-’मिली कष्टों से मुक्ति, हर घर जल की शक्ति- नया भारत।’ पर इन दोनों प्रचार अभियानों को लेकर भाजपा के अंदर ही बहस छिड़ी हुई है, पार्टी का एक वर्ग कह रहा है कि ’जब कोविड को लोग भूल चुके हैं तो उसे फिर याद दिलाने की क्या जरूरत है? जिन घरों ने कोविड में अपनों को खोया है उनके घाव फिर से हरे हो सकते हैं।’ वहीं ’नल जल’ के विज्ञापन में केंद्र सरकार दावा कर रही है कि जहां 70 सालों में सिर्फ 3.2 करोड़ भारतीय घरों में नल लगे, हमने महज़ चार सालों में 5 करोड़ घरों में नल लगवा दिए। पर लोग कहते हैं कि ’हर घर नल’ मूलतः नीतीश कुमार की योजना थी जिसे बिहार सरकार ने बखूबी अपने राज्य में लागू किया था। क्योंकि केंद्र सरकार की देशव्यापी शौचालय योजना लुढ़क गई थी क्योंकि उसमें शौचालय निर्माण की बात तो थी, पर शौचालय को पानी भी चाहिए इस बारे में सोचा ही नहीं गया था। तब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शौचालय स्कीम में ही अपना ’हर घर नल’ योजना को जोड़ दिया। अब नीतीश कुमार विपक्षी ’इंडिया’ गठबंधन के हिस्सा हैं, सो केंद्र सरकार की ओर से अगर इस नई योजना का षोर मचा तो नीतीश खुद इसका श्रेय लेने की कवायद तेज कर देंगे।
Comments Off on 24 के चुनाव के लिए भाजपा के दो नए नारे
2024 के चुनाव के आलोक में जहां तमाम विपक्षी दल ओबीसी-इबीसी जातियों की राजनीति को साधने में जुटे हैं, वहीं मोदी सरकार देश भर के कामगारों के लिए एक नई योजना लेकर आई है-’ विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’। पीएम मोदी खुद घूम-घूम कर इस योजना का प्रचार कर रहे हैं। इस योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों, दस्तकारों, शिल्पकारों सहित 18 पारंपरिक कार्यों व व्यापारों से जुड़ी जातियों के लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है, इन जातियों में बढ़ई, लोहार, कुम्हार, दर्जी, सुनार, नाई, राजमिस्त्री, मोची, टोकरी बुनने वाले लोग शामिल हैं। जहां यह योजना इन कारीगरों को सस्ती दर पर 3 लाख रुपयों तक का लोन देती है, वह भी बिना किसी गारंटी के। 2023-24 से शुरू होकर 2027-28 तक के वित्तीय वर्ष तक इस योजना में 13 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा खर्च का प्रावधान है। इन जातियों के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 500 रुपए दैनिक भत्ते के साथ 7 दिनों की ‘स्किल ट्रेनिंग’ का प्रावधान है। टूल किट खरीदने के लिए अतिरिक्त 15 हजार की राशि का भी प्रावधान है। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के पहले वर्ष में ही 5 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। और आगे के 5 वर्षों में इससे 30 लाख परिवार और जुड़ेंगे। आपको याद हो तो पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त भी किसानों के खातों में 4 हजार रूपए गए थे, ठीक उसी तर्ज पर इस स्कीम में भी लाभार्थियों के खातों में (जिन्होंने सरकारी पोर्टल पर अपने को रजिस्टर्ड करा लिया है) भी 4-5 हजार रूपयों की रकम सीधे जा सकती है। यानी केंद्र सरकार की सोच साफ है कि जिसको मिलेगा, वह भाजपा से जुड़ेगा।
Comments Off on ‘विश्वकर्मा योजना’ पर मोदी सरकार का इतना भरोसा क्यों?
पिछले दिनों निजामाबाद की एक जनसभा में पीएम मोदी ने कहा कि ’केसीआर ने उनके समक्ष इच्छा व्यक्त की थी कि वे एनडीए में शामिल होना चाहते हैं। पर जवाब में मैंने उनसे कहा कि मोदी आपके साथ जुड़ नहीं सकते क्योंकि आपके कर्म ही कुछ ऐसे हैं।’ मोदी का यह बयान ठीक तेलांगना विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जब विपक्ष लगातार केसीआर पर आरोप लगा रहा है कि ’वे अंदरखाने से भाजपा से मिले हुए हैं।’ इस बात का नुकसान भाजपा और बीआरएस इन दोनों दलों को हो रहा था, और मलाई कांग्रेस काट रही थी। हालिया जनमत सर्वेक्षणों में भी इस बात का खुलासा हो चुका है कि ’केसीआर की पार्टी को इस बार राज्य में भारी ‘एंटी इंकमबेंसी’ का सामना करना पड़ रहा है’, वहीं भाजपा जो ग्रेटर हैदराबाद में काफी मजबूत है, इस बार उसे वहां कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस के पास तेलांगना में 8-10 बड़े स्थानीय चेहरे हैं फिर भी उसे एक अदद रेड्डी चेहरे की तलाश है। सो, चुनाव के ऐन वक्त कांग्रेस जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला पर दांव लगा सकती है। वैसे भी केसीआर की लोकप्रियता इस हद तक गिरी है कि वहां के लोग इस बात को भूलने को भी तैयार बैठे हैं कि शर्मिला के स्वर्गीय पिता राजशेखर रेड्डी तेलांगना राज्य के गठन के सख्त खिलाफ थे।