‘विश्वकर्मा योजना’ पर मोदी सरकार का इतना भरोसा क्यों?

October 07 2023


2024 के चुनाव के आलोक में जहां तमाम विपक्षी दल ओबीसी-इबीसी जातियों की राजनीति को साधने में जुटे हैं, वहीं मोदी सरकार देश भर के कामगारों के लिए एक नई योजना लेकर आई है-’ विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’। पीएम मोदी खुद घूम-घूम कर इस योजना का प्रचार कर रहे हैं। इस योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों, दस्तकारों, शिल्पकारों सहित 18 पारंपरिक कार्यों व व्यापारों से जुड़ी जातियों के लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है, इन जातियों में बढ़ई, लोहार, कुम्हार, दर्जी, सुनार, नाई, राजमिस्त्री, मोची, टोकरी बुनने वाले लोग शामिल हैं। जहां यह योजना इन कारीगरों को सस्ती दर पर 3 लाख रुपयों तक का लोन देती है, वह भी बिना किसी गारंटी के। 2023-24 से शुरू होकर 2027-28 तक के वित्तीय वर्ष तक इस योजना में 13 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा खर्च का प्रावधान है। इन जातियों के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 500 रुपए दैनिक भत्ते के साथ 7 दिनों की ‘स्किल ट्रेनिंग’ का प्रावधान है। टूल किट खरीदने के लिए अतिरिक्त 15 हजार की राशि का भी प्रावधान है। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के पहले वर्ष में ही 5 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। और आगे के 5 वर्षों में इससे 30 लाख परिवार और जुड़ेंगे। आपको याद हो तो पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त भी किसानों के खातों में 4 हजार रूपए गए थे, ठीक उसी तर्ज पर इस स्कीम में भी लाभार्थियों के खातों में (जिन्होंने सरकारी पोर्टल पर अपने को रजिस्टर्ड करा लिया है) भी 4-5 हजार रूपयों की रकम सीधे जा सकती है। यानी केंद्र सरकार की सोच साफ है कि जिसको मिलेगा, वह भाजपा से जुड़ेगा।

 
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