विशेष सत्र का ’विशेष एजेंडा’ सब पहले से तय था

September 23 2023


हर नई ईंट पर बस तेरा ही नाम है इन ख्वाबों के मकानों में

कभी ख्वाहिशें बिकती थीं, अब वक्त बिकता है, इन दुकानों में’

जब भगवा आलोक में 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र आयोजित करने की घोषणा हुई तो विपक्षी दलों को इस बात का किंचित भी इल्म नहीं था कि इस विशेष सत्र में आखिरकार होगा क्या? क्योंकि जब भी ऐसा कोई विशेष सत्र आहूत होता है तो तमाम पार्टियों से बात कर सत्तारूढ़ दल की ओर से एक कार्य सूची तैयार की जाती है। सो, नाराज़ होकर सोनिया गांधी ने पीएम को एक पत्र लिख डाला, और इसमें उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी, चीन, अदानी जैसे 9 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की मांग कर दी। इस पर त्वरित कार्यवाई करते सरकार ने पोस्ट ऑफिस बिल, मीडिया संस्थानों के रजिस्ट्रेशन बिल, वरिष्ठ नागरिक कल्याण विधेयक, अधिवक्ता बिल समेत आठ विधेयकों की लिस्ट जारी की, जिन विधेयकों को इस विशेष सत्र में लाया जाना था। पर मोदी सरकार के तुरूप का इक्का महिला आरक्षण बिल का इसमें कोई जिक्र नहीं था। 5 दिन का यह विशेष सत्र चार दिनों में ही समाप्त हो गया, सत्र की शुरूआत 18 को पुराने संसद से हुई और अगले दिन 19 को कार्यवाई नए संसद भवन में शिफ्ट हो गई। इसी संसद में ’नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश हुआ, 20 सितंबर को यह पारित भी हो गया। भाजपा इसे अपनी एक बड़ी जीत मान रही है, पर अब भाजपा के अंदर से ही महिला बिल में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग उठने लगी है। यह मांग भी भाजपा की उस नेत्री उमा भारती ने उठा दिया है जिसे ’जन आशीर्वाद यात्रा’ का न्यौता ही नहीं भेजा गया। जिन्हें पार्टी ने न तो 2019 का चुनाव लड़ाया और न ही विधानसभा का। राहुल गांधी की ’भारत जोड़ो यात्रा’ का दूसरा चरण ज्यादातर हिंदी पट्टी से होकर गुजरने वाला है, जहां ओबीसी राजनीति का सिक्का चलता है, कांग्रेस ने हैदराबाद की अपनी सीडब्ल्यूसी की बैठक में खुल कर ओबीसी राजनीति का अलख जगा दिया है, पार्टी ने कहा है कि ’वह 50 फीसदी आरक्षण सीमा पर विचार करेगी।’ देश भर में 45 फीसदी के आसपास ओबीसी वोटर हैं, हिंदी पट्टी में तो यह प्रतिशत बढ़ कर 54 फीसदी तक जा पहुंचता है। जैसे बिहार में 61 प्रतिशत, राजस्थान में 48 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 45 फीसदी और मध्य प्रदेश में ओबीसी वोटरों की तादाद 43 फीसदी है। राहुल गांधी ने इसीलिए कर्नाटक चुनाव में जातिगत जनगणना की मांग उठाई थी, अब राहुल कह रहे हैं कि ’भारत सरकार  के 90 सचिवों में से मात्र 3 ही ओबीसी समुदाय से आते हैं,’ यानी विपक्ष ने भविष्य की राजनीति के ’रोड मैप’ का अभी से खुलासा कर दिया है।  

 
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