वसुंधरा को हाईकमान ने ऐसे घेरा

November 27 2023


राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा चुनाव समिति की वह आखिरी मीटिंग आहूत थी। मीटिंग अमित शाह ले रहे थे और उन्हें इस बात का कहीं गहरे इल्म हो चला था कि ’प्रदेश की सबसे कद्दावर नेता वसुंधरा राजे अब भी कहीं न कहीं नाराज़ हैं।’ सो, शाह ने महारानी की नाराज़गी दूर करने की लिहाज से उनसे कहा कि ’इस मीटिंग के बाद वे अलग से उनके साथ बैठेंगे।’ और यह हुआ भी, इन दोनों नेताओं ने पहले तो आपसी गिले-शिकवे दूर करने के प्रयास किए, जब माहौल थोड़ा सामान्य हुआ तो वसुंधरा ने अपने खास वफादार 18 नेताओं की एक लिस्ट शाह को सौंपते हुए कहा ’इनको टिकट जरूर मिलनी चाहिए।’ शाह ने कहा-’तथास्तु!’ इस मुलाकात के चौथे-पांचवें रोज वसुंधरा के पास शाह का फोन गया और शाह ने महारानी से अर्ज किया कि ’अगले कुछ रोज में वे जयपुर पधार रहे हैं, सो उनके वे खास लोग आकर उनसे मिल लें ताकि वे आश्वस्त हो जाएं कि वसुंधरा भी पार्टी की मुख्यधारा में शामिल हो चुकी हैं।’ वसुंधरा ने शाह के इस प्रस्ताव को सहर्ष सहमति दे दी। इसके बाद शाह का जयपुर पधारना हुआ, वसुंधरा के वे खास वफादार लोग एक-एक करके शाह से मिले, उनसे वन-टू-वन बातचीत हुई, चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की ओर से उन्हें आर्थिक मदद का वादा भी हुआ। सब सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ, पर तब राजनीति के भगवा चाणक्य ने वहां पांसा पलट दिया था। वसुंधरा को भी इस बात का इल्म तब हुआ जब वह अपना नामांकन पत्र दाखिल करने जा रही थीं और उनके साथ उन 18 में से मात्र 4 विश्वासपात्र लोग ही जुट पाए। बाकी के लोगों के बयान सामने आ रहे थे, जिसमें से कोई कह रहा था-’हम पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं, मोदी जी ही हमारे नेता हैं’ कोई राजस्थान में इस बार भाजपा की हवा बता रहा था, पर वसुंधरा इनके बयानों से नदारद थीं, लग रहा था जैसे कि इन पर शाह का जादू चल गया है।

 
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