ब्राह्मणवाद के खिलाफ अलख

September 16 2023


लगता है विपक्षी खेमे ने भी बहुत सोच विचार कर सनातन की डिबेट को हवा दी है, शायद इसीलिए स्टालिन पुत्र उदयनिधि इस मुद्दे पर इतनी उछल कूद मचा रहे हैं, सो वे सुविचारित रूप से सनातन को कभी डेंगू, कभी मलेरिया या कभी कोरोना बुलाते हैं। सनानत धर्म का मुद्दा अब विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए भी एक एसिड टेस्ट हो गया है। दक्षिण से अलग उत्तर भारत में विपक्ष के लिए सनातन का अर्थ वर्णवाद से जुड़ा है। वैसे भी दक्षिण भारत में ब्राह्मणवाद के विरोध का फायदा हमेशा से विपक्षी दल उठाते रहे हैं, कारण ओबीसी व दलित जैसी जातियां हमेशा से ब्राह्मणों से त्रस्त रही है। ओबीसी व दलित जातियों को मद्देनज़र रखते ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने नेताओं व वक्ताओं से कहा है कि ’वे बिलावजह सनातन डिबेट में न उलझें।’ वहीं जी-20 समिट में मेहमानों को जहां शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, तो वहीं राहुल गांधी का लालू यादव के साथ वह वीडियो वायरल हो जाता है जिसमें वे खास चंपारण मीट पकाते नज़र आते हैं। यह विपक्षी गठबंधन इंडिया की एक सुविचारित रणनीति हो सकती है। शायद यही वजह है कि एक ओर जहां भाजपा राम मंदिर की बात करती है तो सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आरजेडी नेता व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरित मानस के विरोध में अलख जगाते हैं, चंद्रशेखर तुर्रा उछालते हैं कि ’रामचरित मानस में तो पोटेशियम साइनाइट है।’ पिछले दो लोकसभा चुनावों यानी 2014 व 2019 में ओबीसी वोटरों ने भाजपा का साथ दिया था, इंडिया गठबंधन इसी गणित को पलटने में जुटा है।

 
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