बीएल की चिट्ठी पर भगवा शीर्ष का असंतोष |
May 26 2024 |
यह बात तब कि जब देश में चुनाव का पांचवां चरण चल रहा था तो भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष को एक नायाब आइडिया आया, उन्होंने आनन-फानन में उन भाजपा नेताओं की एक सूची तैयार की जो अलग-अलग कारणों से पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और जिन्होंने चुनाव प्रचार से अपनी दूरियां बना रखी हैं। संतोष ने ऐसे 32 नामों की शिनाख्त की जिनमें से ज्यादातर पार्टी नेताओं के टिकट कट गए थे या जिन्हें पार्टी ने खुद ही दरकिनार कर दिया था। इन असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट में जयंत सिन्हा, वरूण गांधी, पूनम महाजन, प्रवेश वर्मा, रमेश विधुड़ी जैसों के नाम शामिल थे। बेहद असंतोष के मारे संतोष जी ने यह चिट्ठियां ड्राफ्ट कर उन्हें दस्तखत के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास भेज दीं। जेपी नड्डा को जैसे ही चिट्ठियों के मजमून का पता चला उनके तोते उड़ गए और उन्होंने ना सिर्फ इन चिट्ठियों को साइन करने से मना कर दिया, बल्कि उसी वक्त अमित शाह को फोन कर उन्हें सारी वस्तुस्थिति से अवगत भी करा दिया। मामला और माहौल बिगड़ने की आशंका भांप शाह ने फौरन संतोष को तलब कर उन्हें चेतावनी देने वाले लहज़े में कहा-’आपकी जिम्मेदारी संगठन चलाने की है, पार्टी को एकजुट रखने की है, आप इसमें पलीता क्यों लगाना चाहते हैं? आप कर्नाटक भी नहीं संभाल पाए और अब चिट्ठियां भेज एक नया बखेड़ा खड़ा करना चाहते हैं? आपको मालूम है आप जिन लोगों को चिट्ठियां भेजना चाहते हैं जब वे इनका जवाब देंगे तब वे मीडिया की सुर्खियां बन जाएंगे।’ पर कहते हैं बीएल संतोष नहीं माने और उन्होंने एक ’टेस्ट केस स्निेरियो’ के आधार पर झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के दस्तखत से एक चिट्ठी जयंत सिन्हा को भिजवा दी। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को प्रवेश वर्मा और रमेश विधुड़ी को भी ऐसे ही चिट्ठी जारी करने को कहा पर दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष ने संतोष के आदेश को शिरोधार्य करने की बजाए इस पूरे मामले से नड्डा को अवगत करा दिया। सूत्रों की मानें तो इस पर तमतमाए नड्डा ने बीएल संतोष को फोन करके कहा-’आपको हमने मना किया था, पर आप माने नहीं। अब हम चुनाव देखें या अपनों से ही झगड़े में उलझें।’ कहते हैं संतोष का असंतोष अब अब भी बरकरार है। |
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