टूट रहे हैं भाजपा दिग्गजों के दम

September 30 2023


सोशल मीडिया पर भाजपा दिग्गज कैलाश विजयवर्गीय के उस दर्द से दुनिया रूबरू हो गई कि अचानक विधानसभा का टिकट मिल जाने से वे कितने असहज हैं। जबकि विजयवर्गीय 1990 से लेकर 2013 तक लगातार विधानसभा का चुनाव लड़े और कभी हारे नहीं। इंदौर-3 से पिछली बार उनके बेटे को टिकट दिया गया था और वह चुनाव जीत गया था, इस बार विजयवर्गीय को इंदौर-1 से चुनावी मैदान में उतारा गया है। कहां तो उनका इरादा राज्य के भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मैराथन चुनाव प्रचार का था, पांच सभाएं रोजाना हेलीकॉप्टर से और तीन सभाएं कार से करने का इरादा था, अब वे इंदौर की गलियों की खाक छान रहे हैं, वे भी बाइक और स्कूटर पर बैठे नज़र आ रहे हैं। विजयवर्गीय यह कहते हुए यहां चुनावी प्रचार कर रहे हैं कि ’इस क्षेत्र में भोजन-भंडारे तो बहुत हुए, पर विकास के कार्य रूक गए हैं, वे जीते तो इनमें गति आएगी।’ कमोबेश कुछ यही हाल केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का है, वे 38 साल बाद विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। रही बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की तो वे मुरैना के सांसद हैं, और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भी हैं, पहली बार है जब किसी संयोजक को ही चुनावी मैदान में उतार दिया गया है, यह भाजपा की बेचैनी बयां करता है। अब बात करें प्रह्लाद पटेल की तो वे 5 बार के सांसद हैं, वे शायद विधानसभा लड़ने का अनुभव भी भूल चुके हैं, इसी प्रकार भाजपा सांसद उदय प्रताप कोई 16 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा सांसद रीति पाठक और गणेश सिंह पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ेंगे। नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतार कर भाजपा चंबल-ग्वालियर संभाग को साधना चाहती है, जो अभी तक सिंधिया परिवार का गढ़ रहा है। ग्वालियर-चंबल संभाग में कुल 34 सीटें हैं, 2018 के चुनाव में भाजपा इसमें से मात्र 7 सीटें ही जीत पाई थी, एक सीट बसपा के कब्जे में आयी थी, बाकी सीटें कांग्रेस के पाले में आ गई थी। इसी तरह महाकौशल का क्षेत्र भी भाजपा की पेशानियों पर बल ला रहा है, पिछले चुनाव में यहां की 38 में से 34 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थी, इसीलिए भाजपा ने यहां के अपने तीनों सांसद यानी प्रह्लाद पटेल, फग्गन कुलस्ते और राकेश सिंह को मैदान में उतार दिया है। मालवा-निमाड़ की 66 में से 35 सीटें 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत ली थी, 2020 में यहां के कई कांग्रेसी विधायकों ने पाला बदल लिया था। कांग्रेस इस बार बुंदेलखंड में बेहतर करना चाहती है, पिछले चुनाव में यहां की 26 में से मात्र 7 सीटों पर ही कांग्रेस जीत पाई थी।

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!