खड़गे की नई टीम में नया क्या है?

October 15 2023


रोशनी के कितने शफ्फाक धागों से मिल कर बना है तेरा ये चेहरा

अंधेरों से महफूज हैं तेरे ये किरदार पर इन पर तेरा अक्स है गहराकोई 10 महीनों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी नई टीम की घोषणा करने में सफल रहे, कांग्रेस की नीति निर्धारक कमेटी सीडब्ल्यूसी का आकार भी 23 से बढ़ा कर 39 कर दिया गया, इसके बावजूद खड़गे पर यह आरोप चस्पां हो रहा है कि ’उनकी टीम पर सोनिया गांधी की चाहतों की छाप है।’ इन 39 में से 11 ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने पिछले दस सालों से ज्यादा वक्त से कोई चुनाव नहीं लड़ा है, वे बस राज्यसभा के सहारे ही कांग्रेस में अपनी दुकान चला रहे हैं। इस टीम में चुनाव हार चुके नेताओं का भी खासा दबदबा है, इस कड़ी में अजय माकन, जगदीश ठाकोर, गुलाम अहमद मीर, सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह, तारिक अनवर, मीरा कुमार, भवर जितेंद्र सिंह, मुकुल वासनिक व दीपा दास मुंशी के नाम शामिल हैं। इस नई टीम में कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 का भी दबदबा दिखता है, चाहे वह मनीष तिवारी हों, शशि थरूर, आनंद शर्मा या फिर मुकुल वासनिक, खड़गे ने इन्हें अपनी नई टीम में जगह दी है। सूत्रों की मानें तो इन 39 में से बस दो लोग ऐसे हैं जिन्हें आप खड़गे भरोसेमंद मान सकते हैं, ये हैं गुरदीप सप्पल और राज्यसभा सदस्य नासिर हुसैन। सप्पल को दिल्ली से लाया गया है, जहां कांग्रेस का कोई खास वजूद बचा नहीं है, सबसे खास बात तो यह कि सप्पल को अपनी टीम में लेने के लिए खड़गे ने दिल्ली के पुराने नेता जयप्रकाश अग्रवाल की भी अनदेखी कर दी, हालिया दिनों में जेपी अग्रवाल से मध्य प्रदेश का प्रभार भी ले लिया गया है और उनकी जगह वहां रणदीप सुरजेवाला को भोपाल भेजा गया है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल के भी पर कुतरे गए हैं, अब तक पार्टी की मान्य परंपराओं के मुताबिक कोषाध्यक्ष को सीडब्ल्यूसी के स्थाई सदस्यों में जगह मिलती रही है, पर बंसल को ‘परमानेंट इन्वाइटी’ करार दिया गया है, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के दौरान बंसल ने भी चुनाव लड़ने के लिए एक फॉर्म खरीदा था, क्या इस बात को खड़गे अब भी भूले नहीं हैं? वहीं अपने खिलाफ चुनाव लड़े जी-23 के एक अहम सदस्य शशि थरूर को उन्होंने अपनी टीम में जगह दे दी है। वैसे तो राहुल दुलारे इमरान प्रतापगढ़ी की उपेक्षा भी हैरान करने वाली है, शायद अतीक अहमद प्रकरण की वजह से उनका नाम लिस्ट से कट गया और उनकी जगह नासिर हुसैन को प्राथमिकता दी गई। सोनिया के वरदहस्त की वजह से एके एंटोनी को नई टीम में जगह मिल गई, जबकि उनके पुत्र अनिल एंटोनी भाजपा में शामिल होकर भगवा पार्टी के पक्ष में अलख जगा रहे हैं।

 
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