इसीलिए अशोक व सुनील में पटी नहीं

November 27 2023


आपको चुनाव विश्लेषक सुनील कानूगोलू याद हैं न? कभी ये प्रशांत किशोर के साथ हुआ करते थे, फिर उनसे टूट कर राहुल गांधी से सीधे जुड़ गए। कांग्रेस के कर्नाटक फतह में उनकी एक प्रमुख भूमिका बताई जाती है। कांग्रेस हाईकमान कानूगोलू के परफॉरमेंस से इतना खुश हुआ कि जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें वहां मंत्री का दर्जा मिल गया। इन पांच राज्यों के चुनावों में भी कांग्रेस शीर्ष ने कानूगोलू के ऊपर यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि ’वे कर्नाटक चुनाव के तर्ज पर इन राज्यों में भी जमीनी सर्वेक्षण कर प्रत्याशियों के चयन में पार्टी की मदद करें।’ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलांगना व मिजोरम में तो कानूगोलू की राय को तरजीह दी गई और प्रत्याशियों की घोषणा से पहले उनके लिस्ट से मिलान भी कर लिया गया। पर राजस्थान में कानूगोलू की एक न चली। सुनील की राय थी कि ’कर्नाटक की तर्ज पर ही राजस्थान में भी पचास फीसदी निवर्तमान विधायकों के टिकट काट दिए जाएं और उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा जाए।’ यहां तक तो कानूगोलू की बात ठीक थी, एक कदम आगे बढ़ कर कानूगोलू ने यह राय दे डाली कि ’अशोक गहलोत की जगह पार्टी को अपना कोई नया व फ्रेश सीएम फेस आगे करना चाहिए,’ जाहिर सी बात है कि सुनील की इस राय पर अशोक बेतरह उखड़ गए, इस मामले ने कुछ इस हद तक तूल पकड़ा कि कानूगोलू को जयपुर से बेंगलुरू की फ्लाइट लेनी पड़ गई। हाईकमान का कोई हस्तक्षेप भी काम नहीं आया, गहलोत ने किसी की एक न सुनी।

 
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