सोरेन अपनी गद्दी किसको सौंपेंगे? |
September 04 2022 |
लगता है झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के दिन बस गिनती के बचे हैं। झारखंड के गवर्नर रमेश बैंस के पास चुनाव आयोग ने एक सप्ताह पहले ही अपना फैसला भेज दिया है, पर गवर्नर अभी तक हेमंत को ‘डिसक्वालिफाई’ घोषित नहीं कर पाए हैं। यहां पर पेंच फंसा है भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को ’डिसक्वालिफाइर्’ करने का। वहीं सूत्र खुलासा करते हैं कि भले ही सोरेन ने अपने विधायकों को रायपुर भेज दिया हो, पर इन विधायकों के घरों तक भाजपा ने अपनी पहुंच बना ली है। माना जा रहा है कि झारखंड के गवर्नर रविवार की रात तक या सोमवार की सुबह तक अपना फैसला सुना सकते हैं। तब तक सभी विधायकों की वापसी शुरू हो जाएगी। इनको वापिस रांची लाने के लिए एक चार्टर्ड विमान हायर किया जा रहा है, जिसका अनुमानित खर्च कोई 2.6 करोड़ रूपए आने वाला है। पर इस फैसले को कैबिनेट से अनुमोदन भी मिल चुका है। हेमंत सोरेन अपनी रुखसती की सूरत में अपनी गद्दी अपनी पत्नी को सौंपना चाहते हैं, पर इस फैसले में बड़ी दिक्कत पेश आ रही है, क्योंकि हेमंत की पत्नी गैर आदिवासी समुदाय की हैं और वह ओडिशा की रहने वाली हैं। सो रिजर्व एसटी सीट से उनका उप चुनाव लड़ना भी संदिग्ध रहेगा, और राज्य की ज्यादातर गैर आदिवासी सीटों पर भाजपा का दबदबा है, सो भाजपा उन्हें चुनाव में हरवाने का पुख्ता इंतजाम करेगी। पिता शिबू सोरेन इन दिनों बीमार चल रहे हैं, उनकी भूलने की बीमारी भी काफी बढ़ गई है। सो, अब हेमंत अपनी मां को गद्दी सौंपने पर विचार कर रहे हैं। वहीं भाजपा के केंद्रीय नेताओं की राय है कि झारखंड में एक साल के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना ही ठीक रहेगा, क्योंकि झारखंड में भाजपा के पास न तो उतने योग्य नेता हैं और न ही उतना जनता का सपोर्ट। |
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