श्रमिकों के भूख की कीमत कितनी? |
May 20 2020 |
लॉकडाउन और स्वॉइन फ्लू के आसन्न आहटों के चक्कर में जब पोल्ट्री मालिक बड़े पैमाने पर अपनी मुर्गियों को मार रहे थे तो उनसे पूछा गया कि वे आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं तो जवाब मिला कि जब बाजार में चिकेन की कोई कीमत ही नहीं रही, जितना पैसा वे मुर्गियों को दाना खिलाने पर खर्च कर रहे हैं इसे बेच कर उन्हें इसका आधा भी रिकवर नहीं हो रहा। सो, यूपी में भी प्रवासी मजदूरों को जिन आइसोलेशन केंद्रों में रखा गया है, वहां राज्य सरकार उनके प्रति मील पर एनजीओ को 40 रूपए का भुगतान कर रही है यानी कि पूरे दिन के लिए कोई 120 रूपए, वहीं राजस्थान जैसे राज्य इसी मद में एनजीओ को 300 रूपयों का भुगतान कर रही हैं। जब यूपी में कार्यरत एनजीओ ने अधिकारियों से सवाल किए तो प्रति मील 40 रूपए से बढ़ा कर 70 रूपए कर दिया गया, पर यह फाइल अभी भी लाल फीताशाही के चपेट से बाहर नहीं निकल पाई है और वे एक टेबल से निकल कर दूसरे टेबल का चक्कर लगा रही है, जबकि वहीं मजदूर इन आइसोलेशन केंद्रों से बाहर निकल अपने घरों तक पहुंचने लगे हैं। |
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