भाजपा ओबीसी की नई चैंपियन |
August 28 2021 |
पुरानी भाजपा जो कभी ब्राह्मण-बनिया की पार्टी में शुमार होती थी, आज वह ओबीसी जातियों की सबसे बड़ी ‘चैंपियन’ बन कर उभरी है। मोदी सरकार ने सियासी लहर गिनने के लिहाज से सबसे पहले ’नीट’ यानी मेडिकल एंटरेंस एक्जाम में ओबीसी आरक्षण का कार्ड खेला, जहां उन्हें इसमें वांछित सफलता भी मिली। फिर संसद में ओबीसी आरक्षण विधेयक शून्य विरोध के साथ पास हो गया। संघ के नंबर दो दत्तात्रेय होसाबोले के अहम बयान ने इस मौके को खास बना दिया कि ’संघ आरक्षण का पुरजोर समर्थक हैं,’ याद कीजिए संघ प्रमुख मोहन भागवत का बिहार 2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान दिया गया वह बयान कि ’आरक्षण प्रक्रिया पर पुनर्विचार होना चाहिए’ और आरक्षण प्रक्रिया पर पुनर्विचार के लिए एक राजनैतिक समिति भी बनाने की उन्होंने मांग की थी। सितंबर 2015 में ही कुल्लु में भागवत ने बयान दिया के आरक्षण जाति नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर मिलना चाहिए। जब संसद में वीपी सिंह मंडल कमीशन लेकर आए तब भरे सदन में ही लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि ‘भाजपा जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ है, आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए।’ पर यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई भाजपा है, मोदी ने चौदह की अपनी चुनावी सभा में खम्म ठोक कर अपनी जाति का ऐलान किया था, जिससे बड़े पैमाने पर ओबीसी वोटर भाजपा के पक्ष में कदमताल करने लगे थे। सवाल उठता है कि ओबीसी जातियों को लेकर भाजपा के तमाम हालिया पराक्रम क्या यूपी चुनाव 22 को साधने की बाजीगरी है? क्योंकि जातीय समीकरणों के लिहाज से यूपी में सबसे ज्यादा 52 फीसदी ओबीसी वोटर हैं। अगर इसमें से यादव वोटरों को बाहर निकाल दिया जाए तो भी यह संख्या 42 फीसदी के आसपास ठहरती है। प्रदेश के 16 जिलों में 12 फीसदी कुर्मी वोटरों का असर है, 13 जिलों में 10 फीसदी मौर्य, कुशवाहा और शाक्य वोटर हैं। इसी तरह मध्य, पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड को मिला कर 23 जिलों में लगभग 7 प्रतिशत लोध वोट हैं, गंगा, यमुना और गोमती नदी के किनारे बसी आबादी में भी लगभग 6 फीसदी मल्लाह वोटर हैं, इसके अलावा लोहार, कुम्हार, बियार जातियां भी अलग-अलग पॉकेट में निर्णायक भूमिका में हैं। पिछले चुनाव में ये ओबीसी जातियां कमोबेश भाजपा के पक्ष में कदमताल कर रही थीं, पर इस बार उनका भगवा पार्टी से कुछ हद तक मोहभंग हुआ है, जिन्हें वापिस पटरी पर लाने के लिए भाजपा ओबीसी आरक्षण का तुरूप चल रही है। |
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