बिहार में भाजपा की गुटबाजी उफान पर |
April 24 2022 |
अभी हाल में संपन्न हुए एमएलसी चुनाव में बिहार में भाजपा की आपसी गुटबाजी खुल कर सतह पर आ गई, जिसका खामियाजा पार्टी को इन चुनावों में भी उठाना पड़ा। इसी गुटबाजी की वजह से भाजपा के कई उम्मीदवार खिसक कर तीसरे स्थान पर जा पहुंचे। हाईकमान भले ही इस बात के लिए स्वयं अपनी पीठ थपथपा रहा हो कि उसने सुशील मोदी को बिहार से दर-बदर कर पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी पर नकेल कस दी हो, पर सच तो यह है कि सुशील मोदी दिल्ली में बैठ कर अपने समर्थकों के लगातार संपर्क में हैं। और यहीं दिल्ली में बैठे-बैठे बिहार की भगवा राजनीति में लुत्ती लगा रहे हैं। इस दफे के एमएलसी चुनाव में भूपेंद्र यादव बनाम सुशील मोदी गुट में साफ लड़ाई दिखी। यहां तक कि भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जो बेतिया के हैं, वे अपने गढ़ पश्चिमी चंपारण में ही मुंह की खा गए। यहां राजद का उम्मीदवार जीत गया, कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही और भाजपा फिसल कर तीसरे नंबर पर जा गिरी। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राधा मोहन सिंह के गृह जनपद मोतिहारी में भी कुछ-कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, यहां कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज करा ली, राजद दूसरे नंबर पर और भाजपा यहां भी तीसरे स्थान पर रही। एक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय के सीवान में भी कमोबेश यही नज़ारा देखने को मिला। यहां भी राजद ने अपना परचम लहरा दिया और मंगल पांडेय का उम्मीदवार यहां भी फिसड्डी साबित हुआ और वह तीसरे स्थान पर रहा। अब भाजपा नेता कह रहे हैं कि ‘भूमाई’ समीकरण यानी भूमिहार, मुसलमान और यादव गठबंधन की वजह से राजद को इन चुनावों में बढ़त मिल गई। इन चुनावों में एक नारा खास तौर पर आकर्शण का वजह रहा ’ग्वार-भूमिहार, भाई-भाई’ यानी यादव और भूमिहार गठबंधन यहां की राजनीति में एक नई ताकत बन कर उभरा है। |
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