पीआईबी कार्ड धारकों की छंटनी होगी

January 24 2022


क्या पत्रकार कंचन गुप्ता याद हैं आपको? कभी ये लाल कृष्ण अडवानी के बेहद करीबियों में शुमार होते थे, बाद में जब उन्होंने अपनी निष्ठा को मौजूदा सत्ता की धार दी तो वे सूचना प्रसारण मंत्रालय में नए सलाहकार बन कर आ गए। सूत्र बताते हैं कि जिस थोकभाव में पत्रकारों को पीआईबी कार्ड बांटे गए हैं, अब उनकी छंटनी हो सकती है। एक-एक पीआईबी कार्डधारक के ब्यौरे को खंगाला जा रहा है, उनकी पात्रता को कसौटी पर मांजा जा रहा है, फिर तय होगा कि कितने लोग इसकी वास्तव में पात्रता रखते हैं, जो नहीं रखते (या जो सरकार के निशाने पर हैं) उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाया जा सकता है। यही वजह है कि इस वर्ष पीआईबी के कार्ड रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं, हां उसकी वैधता अप्रैल तक जरूर बढ़ा दी गई है। कंचन गुप्ता जो पॉयोनियर अखबार भी संभाल चुके हैं, उन्हें मीडिया सेंटर में ही एक कमरा दे दिया गया है। सरकार पीआईबी कार्डधारक पत्रकारों को उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सीजीएचएस सेंटर का भी लाभ प्रदान करती है, जिसके लिए पत्रकारों को मात्र 1067 रुपए का सालाना भुगतान करना पड़ता है। हर साल फरवरी में इस सीजीएचएस कार्ड को रिन्यू भी करवाना पड़ता है। इसी पीआईबी कार्ड के आधार पर संसद के दोनों सदनों के पास भी पत्रकारों के लिए बनते हैं। पर अब ऊहापोह और संशय का आलम छाया हुआ है, दूसरों के राजनैतिक भविष्य का पांडित्य बांचने वाले पत्रकारों के अपने भविष्य का क्या होगा?

 
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