| पांचजन्य से दूरी बनाता संघ |
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October 03 2021 |
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कईयों के लिए संघ का यह इंकार चौंकाने वाला था, जब संघ ने एक सिरे से पांचजन्य को खारिज करते हुए कह दिया कि यह हमारा मुख्यपत्र नहीं। सूत्र बताते हैं कि पांचजन्य अब तक नई दिल्ली के झंडेवालान के केशवकुंज में आश्रय पाता रहा था, वहीं स्थापित रह संघ के मूल विचारों को शब्दों का जामा पहनाता रहा था, उसके दफ्तर को आनन-फानन में दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 इलाके में शिफ्ट कर दिया गया है। पांचजन्य अखबार का अगर इतिहास देखें तो आपका यह इल्म पुख्ता होगा कि टेक्नोलॉजी जैसे विषय पर अब तक कभी इस प्रकाशन ने कोई कवर स्टोरी नहीं की है। उस वक्त भी नहीं जब मोदी सरकार के आईटी मंत्री के ट्विटर अकाऊंट को ही इस अमरीकी कंपनी ने ‘सस्पेंड’ कर दिया था। फिर इंफोसिस क्यों? सही मायनों में इंफोसिस भारत की वह पहली आईटी कंपनी है जिसने आईटी को लेकर विश्व बाजार में भारत के वर्चस्व का ध्वजारोहण किया है। जब इंकम टैक्स और जीएसटी के नए पोर्टल को तैयार करने की जिम्मेदारी इंफोसिस को सौंपी गई थी तब क्या वह एक देशभक्त कंपनी नहीं थी? कंपनी ने वित्त मंत्रालय को साफ कह दिया था कि वह तय समय से पहले इन पोर्टल के काम को पूरा नहीं कर पाएगी तो फिर पहले सीआईए के एक कांफ्रेंस में पीयूष गोयल, फिर बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस कंपनी को लानते-मानतें भेजने की जरूरत क्यों आ पड़ी? सादगी पसंद नारायण मूर्ति जिन्हें आम तौर पर दाल-रोटी खाना पसंद है वह वित्त मंत्री द्वारा दिए गए हैवीडोज को पचा नहीं पाए और बातों ही बातों में वे याद दिलाना नहीं भूले कि उनके दामाद ऋषि सुनक भी ब्रिटेन के वित्त मंत्री हैं। सूत्र बताते हैं कि ब्रिटिश एयरवेज की दिल्ली-लंदन फ्लाइट की इकॉनोमी क्लास की 22 एफ सीट नारायण मूर्ति के लिए हमेशा रिजर्व रहती है, अपनी इसी उड़ान में उन्होंने कई बड़ी बिजनेस डील को क्रैक किया है। मूर्ति ने लंदन की यही फ्लाइट पकड़ते देश के कर्णधारों से साफ कर दिया था कि या तो इंफोसिस के बारे में वे अपनी धारणा बदलें, वरना उन्हें भी अपनी धारणा बदलने को मजबूर होना पड़ेगा। सो, फौरन संघ ने इस कंपनी की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए। |
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