कांग्रेस का ’प्लॉन-कर्नाटक’

April 28 2023


’आहिस्ता-आहिस्ता मुझे भी इस बात का इल्म हो चला है
मैं दरिया के साथ चला हूं और तू माझी के साथ चला है’
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस अपना सब कुछ झोंक रही है, अपने लोग, अपने संसाधन और पार्टी के प्रति अपनी निष्ठाएं भी। पार्टी के सीएम पद के दोनों उम्मीदवार यानी सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार में अंदरखाने से सुलह-सफाई की तमाम कोशिशें भी जारी हैं। कांग्रेस की ओर से इसके कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से कहा गया है कि ’वे डीके और सिद्दारमैया के बीच एक संवाद सेतु को जोड़ कर रखें।’ सूत्रों की मानें तो एक फार्मूला निकल कर और बाहर आया है कि ’अगर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो सरकार का नेतृत्व सिद्दारमैया को सौंप दिया जाए और डीके को डिप्टी सीएम बना दिया जाए।’ वैसे पार्टी नेतृत्व ने भावी सीएम के मुद्दे पर चुप रह कर वोकालिग्गा समुदाय को भी एक संदेश देने का काम किया है कि ’उनका प्रतिनिधित्व करने वाले डीके भी इस बार सीएम पद की रेस में है।’ सो, पार्टी रणनीतिकारों को उम्मीद है कि ’इस बार के चुनाव में बड़े पैमाने पर वोकालिग्गा वोट जेडीएस के पाले से छिटक कर कांग्रेस की ओर आ सकते हैं।’ रही बात सिद्दारमैया की तो वे पिछड़े वर्ग कुरूबा समुदाय से आते हैं, जो संख्या के लिहाज से कर्नाटक की तीसरी सबसे बड़ी जाति है। सिद्दारमैया का चेहरा प्रदेश की 30 फीसदी ओबीसी जातियों को साधने के लिए भी काफी है। अभी पिछले दिनों डीके ने यह कह कर एक बड़ा दांव चल दिया कि ’अगर पार्टी प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का चुनाव करती है तो उन्हें बहुत खुशी होगी,’ डीके ने ऐसा कह कर प्रदेश की दलित जातियों को लुभाने का एक यत्न किया है। यानी कांग्रेस इस बार के चुनाव में अपनी पांचों अंगुलियां घी में ही डुबोए रखना चाहती है।

 
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