अखिलेश की नज़र 2024 पर

March 19 2022


सपा प्रमुख अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से इस दफे जीत गए हैं, पर वे अपनी विधानसभा की सीट छोड़ कर अपनी सांसदी बरकरार रखना चाहते हैं। अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने करहल से अखिलेश को जिताने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, अब शिवपाल चाहते हैं कि अखिलेश की इस छोड़ी हुई सीट से वे अपने पुत्र आदित्य सिंह को इस उप चुनाव में करहल से मैदान में उतारेंगे, पर लगता है अखिलेश के मन में कुछ और ही चल रहा है। उन्होंने आनन-फानन में अपने चाचा को विधानसभा में विपक्ष का नेता घोषित कर दिया है, जिससे वे इस मुद्दे पर अखिलेश पर कोई दबाव न बना सके। अखिलेश ने अपने चाचा को समझाया है कि ’आदित्य को लेकर उनके पास कुछ बड़ी योजना है, वे 2024 के लोकसभा चुनाव में आदित्य को सपा के सिंबल पर मैदान में उतारना चाहते हैं।’ रही बात करहल की तो यहां से तीन बार के विधायक रह चुके सोबरन सिंह भी एक बार फिर से इस सीट पर अपना दावा ठोक रहे हैं। पर अखिलेश के मन में कुछ और चल रहा है। वे करहल से पिछड़ों के एक प्रमुख नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को उप चुनाव में जितवा कर लखनऊ भेजना चाहते हैं। स्वामी प्रसाद जो भाजपा से सपा में आए हैं इस बार फाजिल नगर से चुनाव हार गए थे। अखिलेश दरअसल अपनी गैर यादव पिछड़ा कैमिस्ट्री को और मजबूत करना चाहते हैं। अखिलेश को इस बार के चुनाव में छोटे दलों से गठबंधन का बड़ा फायदा मिला, इस गठजोड़ की बदौलत ही सपा के वोट प्रतिशत में एक जबर्दस्त उछाल दर्ज हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा का कुल वोट षेयर जहां मात्र 21.08 फीसदी था, वह बढ़ कर 22 के यूपी चुनाव में 32.06 प्रतिशत हो गया है। यानी अखिलेश के वोट षेयर में जहां डेढ़ गुना का इजाफा हुआ है वहीं उनकी विधानसभा में सीटें ढाई गुना तक बढ़ गई है। अखिलेश इस उछाल को 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रखना चाहते हैं।

 
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