| संचार तंत्र की नाकामी |
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July 18 2011 |
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की यह शिकायत वाजिब भी लगती है कि उन्हें भी मुंबई सीरियल बम धमाकों की खबर देर से मिली, क्योंकि धमाके होते ही प्रभावित इलाकों के मोबाइल टावर्स से आ रहे सिग्नल को तत्काल प्रभाव से जैम कर दिया गया। सनद रहे कि मोबाइल क्रांति से पहले तक पुलिस वालों को ज्यादातर सूचनाएं व कमांड आईएसपीडब्ल्यू यानी इंटरस्टेट पुलिस वॉयरलेस के मार्फत मिलती थी, पुलिस व खुफिया तंत्र के बड़े आला अधिकारी व राज्य के मुख्यमंत्री भी इसके वीआइपी नेटवर्क से जुड़े रहते थे, पर संचार क्रांति आने के बाद जब से मोबाइल फोन का चलन व इसका बोलबाला बढ़ा है पुलिस व खुफिया तंत्र की निर्भरता भी इस पर काफी हद तक बढ़ गई है, इस खतरे को जानते-बूझते बगैर कि कई आतंकी संगठनों को मोबाइल सिग्नल हैक करने में, बातचीत टैप करने में महारथ हासिल है, वक्त आ गया है कि सूचना के आदान-प्रदान के लिए हमारी पुलिस व खुफिया एजेंसियां अपने संचार जाल पर ज्यादा भरोसा करे। |
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