यूपी, बिहार व भूमिहार

May 07 2010


बिहार चुनाव को लेकर भगवा पार्टी में सियासी गहमा-गहमी बढ़ गई है, और जब से अप्रत्याशित तौर पर भूमिहार जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले डा. सी.पी ठाकुर बिहार भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, तब से बिहार भाजपा की अंदरूनी राजनीति में भूचाल आ गया है, बिहार भाजपा पर लंबे समय से काबिज सुशील मोदी ग्रुप हक्का-बक्का है, मंगल पांडे ग्रुप व अश्विनी चौबे ग्रुप की आपसी खींचतान भूमिहार लॉबी के लिए नए अवसर लेकर आई, अब गडकरी चाहते हैं कि कर्नाटक मूल के अनंत कुमार को बिहार का प्रभार सौंप दिया जाए, पर अनंत कुमार के नाम पर बिहार भाजपा में घमासान मचा है। सो गडकरी वफादार फिलहाल चुप रह कर बिहारी सियासत की लहरें गिन रहे हैं। अब चूंकि डा. ठाकुर बिहार भाजपा के अध्यक्ष हो गए हैं सो उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए सूर्य प्रकाश शाही की उम्मीदवारी को एक पल को विराम लग गया है, चूंकि शाही भी भूमिहार हैं सो शाही विरोधी खेमा तर्क दे रहा है कि दो साथ लगे हिंदी भाषी राज्यों में भूमिहारों के हाथों में ही कमान कैसे सौंपी जा सकती है? पर आश्वस्त शाही खेमे का तर्क है कि जब भाजपा संसदीय दल में 7 ब्राह्मण हो सकते हैं, आधा दर्जन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी ब्राह्मण हो सकते हैं तो महज दो भूमिहारों की अध्यक्षीय दायित्व पर इतना बावेला क्यों?

 
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