बातों के धनी मंत्री

March 16 2010


सऊदी अरब में भारत के राजदूत श्री एम.ओ.एच. फारूक ने जो डिनर दिया था सारा बवाल ही वहीं से शुरू हुआ था। हालांकि उस डिनर में भारतीय पत्रकारों का एक दल भी मौजूद था तथा गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा व मुरली देवडा सरीखे कई वरिष्ठ मंत्री भी उपस्थित थे, शिवशंकर मेनन भी वहां मौजूद थे पर कोई राजनैतिक बात नहीं कर रहा था कि डिनर में मौजूद लोगाें ने देखा कि शशि थरूर ने यूं अचानक माइक थाम लिया है और वहां लॉन के एक किनारे में प्रेस कांफ्रेंस करने लग गए हैं और बातों ही बातों में थरूर ने सऊदी के लिए ‘इंटर लोकेटर'(मध्यस्थ) शब्द का इस्तेमाल कर दिया कि कैसे पाक से सऊदी अपने बेहतर संबंधों का इस्तेमाल भारत के हक में करके ‘इंटर लोकेटर’ की भूमिका निभा सकता है। अगले ही दिन वहां ‘अरब न्यूज’ ने भारत की मंशा को गरियाते हुए एक बड़ी खबर छाप दी। हालांकि बाद में स्वयं प्रधानमंत्री ने यह कहकर स्थिति संभालनी चाही कि यह दुनिया ही एक दूसरे पर निर्भर है यानी इंटर डिपेंडेंट हैं। सो एक मित्र देश दूसरे मित्र देश की मदद करता ही है, जैसा कि भारत अफगानिस्तान के लिए कर रहा है। पर तब तक मामले ने कुछ ज्यादा ही तूल पकड ली। सो अपने बड़बोलेपन की सजा के लिए अब थरूर को तैयार रहना चाहिए।

 
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