नितिन के तीन

December 20 2009


भाजपा के ‘अध्यक्ष इन वेटिंग’ नितिन गडकरी को डिस्टलरी, शुगर मिल और पीवीसी पाइप के निर्माण का पर्याप्त अनुभव है, पर अब मौका है संगठन व पार्टी निर्माण की, चुनौती है एक ऐसे पार्टी के मनोबल को संवारने की, हालिया दिनों जिस पार्टी को पराजय व अपमान के अंसख्य दंश झेलने पड़े हैं। दिसंबर के तीसरे सप्ताह में जब गडकरी पार्टी की कमान संभालेंगे तो उनकी नई टीम उनके नवरत्नों से सजी होगी। सबसे महती जिम्मेदारी संजय जोशी को मिल सकती है, फिर किरीट सोमैया व पीयूष गोयल का नंबर हो सकता है। पीयूष गडकरी के सबसे बड़े ‘फंडरेजर’ के तौर पर अवतरित होंगे, पारितोषिकस्वरूप उन्हें राज्यसभा में लाया जा सकता है और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया जा सकता है। जो लोग पीयूष का अतीत जानते हैं वे ये भी जानते हैं कि एनडीए के शासनकाल में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनके पिता से मात्र छह महीनों में ही जहाजरानी मंत्री की गद्दी छिन गई थी, क्योंकि आईबी की रिपोर्ट तब उनके इतनी प्रतिकूल थी, तब भी पीयूष अपने पिता के लिए खासे सक्रिय थे, अब जरूरी भी नहीं कि इतिहास हर बार अपने को वैसे ही दुहराए।

 
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