| चिदंबरम का मर्म |
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January 29 2010 |
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गृह मंत्री पी.चिदंबरम को फैसला लेने वाला गृह मंत्री बताया जा रहा है, खुद कांग्रेसी कहते फिर रहे हैं कि सन् 1980 में जब ज्ञानी जैल सिंह केंद्रीय गृह मंत्री थे तो वे दवाब मुक्त फैसले लेने के लिए मशहूर थे, अब चिदंबरम भी कुछ इसी परिपाटी पर चल रहे हैं। 2611 की घटना के बाद उनकी एम.के.नारायणन से कुछ इस कदर ठनी कि वे नारायणन का बोरिया बिस्तर गोल करवा कर ही माने। चिदंबरम ने यह भी साफ कर दिया है कि अब गृह सचिव राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट नहीं करेगा। काएदे से अब यह पूछने का वक्त आ गया है कि क्या चिदंबरम साहब एनडीए शासन काल के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं? क्योंकि एनडीए शासन काल में अडवानी ने पहली बार यह बयान देकर सनसनी मचा दी थी कि गृह मंत्रालय को रिअरेंज करने की जरूरत है और एक आतंरिक सुरक्षा मंत्रालय अलग से बनाया जाना चाहिए। |
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