गडकरी का ऐलान-ए चुनाव

November 13 2011


नितिन गडकरी जो भी बयान देते हैं उसके सूत्र कहीं न कहीं गहरे होते हैं। नहीं तो क्या वजह है कि संघ अडवानी को चुपके से कहता है कि वे अब चुनावी राजनीति से तौबा कर लें और बस पार्टी को मार्गदर्शन देते रहें, यानी संघ का अडवानी को साफ निर्देश आता है कि वे 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने की न सोचे, उसके अगले कुछ रोज बाद पार्टी अध्यक्ष का बयान आ जाता है कि भाजपा में वही लोग प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे जो लोकसभा में चुनकर आएंगे। और इसके साथ ही गडकरी खुद की लोकसभा लड़ने की अपनी सद्इच्छा जाहिर कर देते हैं, दिल्ली से पत्रकारों का एक बड़ा लाव-लश्कर पार्टी के खर्चे पर नागपुर ले जाते हैं और वहां लोगों को अपनी चुनावी महत्त्वांकाक्षाओं के दीदार कराते हैं। कहीं जाने-अनजाने संघ व गडकरी के निशाने पर पार्टी के वे दो महत्त्वपूर्ण नेता तो नहीं जो लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ते यानी नरेंद्र मोदी या अरुण जेतली। पर इन दोनों नेताओं के लिए लोकसभा का चुनाव लड़ना कोई बड़ा तुर्रा नहीं, चुनावी राजनीति में ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

 
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