खई के पान बनारस वाला

December 26 2012


20 तारीख के गुजरात चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद से ही पार्टी व संघ में लगातार यह मंथन चल रहा है कि मोदी के साथ क्या सलूक किया जाए, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की मोदी की इच्छा का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपनी जीत के बाद के पहले उद्बोधन में मोदी गुजराती की बजाए हिंदी में बोले। वे चाहते थे कि उनकी बात देश के कोने-कोने तक पहुंचे। मोदी अगर राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण भी करते हैं तो गुजरात चलाने के लिए उन्होंने एक ‘ऑटोक्रेट मैकेनिज्म’ बना लिया है, जिसमें राज्य के कुछ सीनियर ब्यूरोक्रेटस व आनंदी बेन पटेल, सौरभ पटेल जैसे उनके अति विश्वासपात्र लोग शुमार हैं। पार्टी में यह बात भी उठ रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को हिंदुत्व के एक नए पुरोधा के तौर पर उभरने के लिए, उन्हें यूपी के लखनऊ या वाराणसी से मैदान में उतारा जाए जिससे भाजपा यूपी में कम से कम आधी सीटों पर सफलता र्दा करा सकती है और बिहार में भी इसका असर होगा। पर अगर ऐसा हुआ तो यूपी भाजपा के जूनियर मोदियों मसलन योगी आदित्यनाथ व वरूण गांधी सरीखे नेताओं का क्या होगा?

 
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