इजराइल या ईरान किसके साथ हिंदुस्तान

March 18 2012


इजराइली दूतावास के एक अधिकारी की कार पर स्टिकर बम का मामला लगातार गर्माता जा रहा है और भारत के लिए सांप-छछूंदर वाली स्थिति हो गई है। इजराइल ने चिंता जाहिर की है कि इस बम कांड में लिप्त जिन 8 संदिग्ध ईरानियों की सूची इजराइल ने भारत को सौंपी थी और जिनके लिए रेडकॉर्नर नोटिस भी जारी हो चुका था, आखिरकार वे कैसे भाग कर तेहरान जा पहुंचे, वे भी बिना इमिग्रेशन क्लीयररेंस के, वे आठ के आठ बैचलर हैं, स्टूडेंट हैं। इस मामले में जिस पत्रकार को धरा गया है उसकी इस कांड में कोई खास भूमिका नहीं है। जाहिर है इस पूरे मामले का असर भारत-इजराइल संबंधों पर पड़ रहा है। इजराइल से हमें सुरक्षा, इंटेलीजेंस और तकनीक पर काफी मदद मिलती है। जैसे अमरीका ने भारत को टोही यानी मानव रहित विमान जैसे द्रोण की तकनीक देने में कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। पर इजराइल ने यह तकनीक आसानी से भारत को मुहैया करा दी। पर केंद्र की यूपीएनीत सरकार नहीं चाहती थी कि ईरानी संदिग्धों को भारत की धरती पर उनके किए की सजा मिले, क्योंकि इसमें मुसलमानों के नाराज होने का खतरा था, संदिग्धों को तेहरान पहुंचाने में भारतीय खुफिया एजेंसियों की भी एक महती भूमिका है।

 
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