Crude Functioning

March 06 2017


There is an interesting merry-go-round in the purchase of crude oil. The established norm was that the concerned ministry would raise the demand for the volume of crude needed for the country from time to time. This would then translate to the finance ministry being asked to raise the US dollars from the international market, for crude is purchased against USD. The dollars having been bought, India would need to pay up and get the crude. Now it seems that that function has also been taken over by the PMO. It itself raises the purchase of crude and when that is to be done. Now, it is not really a coincidence that just after India buys the dollars and pays for the purchase of crude that the dollar value plummets in the international market, and then, the biggest oil shark in the country, a private operator, buys up the cheap dollars, only to pay for its own crude purchases!
सबको मालूम है कि पहले कि मान्य परंपराओं में क्रूड ऑयल की खरीददारी को अंजाम देने के लिए फैसला पेट्रोलियम मंत्रालय लेता था और वह भी वित्त मंत्रालय को संज्ञान में रख कर कि कितना क्रूड ऑयल खरीदना है और कब खरीदना है? पेट्रोलियम मंत्रालय के डिमांड पर वित्त मंत्रालय का काम इसके लिए डॉलर जुटाने का होता था। अब नए और बदले घटनाक्रमों में इस पुरानी आदतों को भी रिटायर कर दिया गया है, विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अब इस खरीददारी की कमान भी पीएमओ के पास आ गई है। सूत्र बताते हैं कि अब पीएमओ ही तय कर रहा है कि क्रूड ऑयल की कितनी खरीद होनी है और कब होनी है। क्या यह महज इत्तफाक है कि क्रूड ऑयल की सरकारी खरीद के बाद यूं अचानक रुपये कुलांचे भरता है और डॉलर के रेट कम हो जाते हैं, उसके बाद तेल क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी को इशारा मिल जाता है कि सस्ते दामों पर क्रूड ऑयल खरीदने का यह सबसे नायाब मौका है। और वह कंपनी यह मौका हाथ

 
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