’सर्जिकल स्ट्राइक’ का आइडिया आया कहां से

October 03 2016


पाक प्रायोजित कायराना उरी हमले से देश आहत था। पीएम को प्राप्त हो रही अलग-अलग खुफिया जानकारियों में हिंदुस्तानियों के गुस्से, हताशा व प्रतिशोध की भावना उबाल मार रही थीं। डिप्लोमेसी का सहारा लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक को बेनकाब करने की भारतीय कोशिशें जारी थीं पर यह सारा उपक्रम मोदी सरकार के प्रति देश का भरोसा बहाल करने के लिए नाकाफी था। देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिक्कर उरी हमले का जायजा लेकर वायुसेना के एक विशेष विमान से दिल्ली लौट रहे थे, उन्होंने अपने साथ बैठे भारत के सेनाध्यक्ष से पूछा-’हम क्या कर सकते हैं? कुछ ऐसा कि हम पाकिस्तान को सबक भी सिखा सकें और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भारत की किरकिरी भी न हो।’ सूत्र बताते हैं कि पर्रिक्कर ने सेनाध्यक्ष से साफ कर दिया कि कल सुबह ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यूरिटी (सीसीएस) की बैठक है, जिसमें उन्हें पीएम के समक्ष कोई ठोस प्लॉन लेकर जाना होगा। कहते हैं सेनाध्यक्ष ने अपने रक्षा मंत्री से कहा-’सर, सुबह तक, आपके मीटिंग में जाने से पहले यह पूरा प्लॉन आपको मिल जाएगा।’ ऐसा ही हुआ, सूत्र बताते हैं कि इस प्लॉन में तीन अलग-अलग रणनीतियों का जिक्र था, जिसमें से एक ’सर्जिकल स्ट्राइक’ का विकल्प भी था। पर्रिक्कर ने सेनाध्यक्ष से हुई अपनी बातचीत में इस बात का थाह पा लिया था कि यह एक ऐसा मौका है जब पूरी भारतीय सेना का हौंसला बम बम है, और इस सत्य के बावजूद कि मौजूदा दौर में यकीनन वह हथियारों की कमी से जूझ रही है, पर पूर्ववर्त्ती हुक्मरानों की तुलना में मोदी का नेतृत्व उनके मन को नए हौंसले दे रहा है। तब जाकर सीसीएस की बैठक में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना को हरी झंडी दे दी गई और इस बात को लेकर यह भी एक कारगर नीति बनी कि मीडिया को इस बात की जानकारी ऑपरेशन पूर्ण हो जाने के बाद सेना की ओर से ही दी जाएगी। यह पूरी योजना तय शुदा रणनीति को मद्देनजर रखते अमल में लाई गई, जो बेहद कारगर रही।

 
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