क्या है केबल?

March 22 2011


आखिर विकीलिक्स कैसे पहुंचा उन गुप्त केबल तक? हर दूतावास को यह छूट होती है कि वे अपने प्रोटोकॉल के तहत अपनी कूट भाषा (कोड)में अपने देश से संवाद स्थापित कर सके। इसके लिए पांच माध्यम हैं-रेगुलर फोन (इसके फोन टेपिंग का खतरा है), हॉटलाइन, इंटरनेट, सेटेलाइट फोन व वॉयरलेस। सेटेलाइट फोन को खुद अमरीका मॉनीटर करता है, चुनांचे यह भी विश्वसनीय नहीं। नेट पर भी हैकरों की मेहरबानी है। सो ले देकर एक वायरलेस मैसेज पर ही सबसे ज्यादा निर्भरता होती है। वायरलेस पर संदेश ‘इनक्रिप्शन सेंटर’ से ‘कोड’ में जाता है। और इसे प्राप्तर्िकत्ता ‘डिसाइबर’ करने के बाद मैसेज प्राप्त कर लेता है। अन्य देशों में यह प्रक्रिया मैनुअल है, पर अमरीका में यह कंप्यूटराइज्ड है। अमरीका स्टेट डिपार्टमेंट में अलग-अलग देशों के पृथक डेस्क बने हुए हैं। ये वॉयरलेस संदेश कंप्यूटर में कैद हो जाते हैं, और बाद में इसे ‘डिकोडिंग’ करके सुना जा सकता है। दरअसल विकीलिक्स ने उस कूटनीतिक भाषा तक अपनी पहुंच बना ली और विभिन्न संदेशों (केबल) को ‘डिकोड’ करना उसे आ गया, सारा मसला इसी कोड के हाईजैक होने का है।

 
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