वरुण की आशा

April 26 2015


गांधी परिवार के भगवा चिराग वरुण गांधी अपने एक नए बौद्धिक अवतार में सामने आए हैं, भले ही मोदी-युगीन पार्टी उनके लिए नई भूमिका पारिभाषित नहीं कर पा रही हो, पर भाजपा के इस पूर्व महासचिव व सुल्तानपुर के सांसद इन दिनों लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में विचारोत्तेजक लेख लिखने में जुटे हैं- अब तक वरुण-रेलवे रिफॉर्म, स्मार्ट सिटी, स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा नीति और किसानों की दुर्दशा को लेकर कई लेख लिख चुके हैं, अब इस 29 तारीख को उनकी कविताओं का संग्रह ‘स्टिलनेस’ यानी स्थित प्रज्ञता बाजार में आने को तैयार है। इस पुस्तक को हार्पर कॉलिंस ने छापा है, वरुण ने अपना यह संग्रह अपनी दिवंगत नानी श्रीमती अमतेश्वर आनंद की स्मृतियों को समर्पित किया है। इस कविता संग्रह की ‘होप’ यानी आशा कविता में वरुण लिखते हैं, (उसका हिंदी तर्जुमा पेश है)-
‘तेरी आवाज मुझे देती है अतीत को बिसराने की ताकत
जब भी देखता हूं प्रतिच्छाया अपनी
तब इल्म होता है मुझे अपनी अंतस की यात्रा का
और तब रहता है मुझे इंतजार वक्त के पुरस्कार का।’
क्या इन पंक्तियों में वरुण की अपनी मौजूदा राजनीति की झलक दिखाई नहीं देती?

 
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