यूपी का भगवा प्लॉन

December 06 2015


इन दिनों भाजपा और मोदी का सारा ध्यान यूपी के आने वाले विधानसभा चुनावों पर टिका है। संविधान सभा को लेकर प्रधानमंत्री ने हमारे संविधान के सूत्रधार बी आर अंबेडकर की तारीफ में जिस तरह कसीदे पढ़े, उससे मायावती को भी इस बात का इल्म हो गया था कि दरअसल सियासी बाजीगरी में माहिर हमारे गुणी प्रधानमंत्री के हाथ यूपी के दलित समुदाय की नब्ज पर हैं। बिहार की गलतियों से सीख लेकर यूपी में चुनावी व्यूह रचना गढ़ी जा रही है। यूपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए स्वतंत्र देव सिंह और राम शंकर कथीरिया का नाम चल रहा है। पार्टी के बुजुर्ग नेता और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र को चुनाव अभियान समिति का सिरमौर बनाया जा सकता है, ताकि राज्य में पिछड़े और अगड़े की जुगलबंदी को सुर दिए जा सके। पार्टी कार्यकर्ताओं की यह पुरकश मांग है कि इस दफे के चुनाव में पार्टी अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा सामने रखकर चुनाव में जाएं। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर वरूण गांधी को पेश किए जाने की जोरदार मांग हो रही है, इस मांग को संघ का मूक समर्थन हासिल बताया जाता है, पर मोदी व शाह की इस नाम को लेकर अपनी कुछ उलझने हैं, जिससे उन्हें बाहर निकलना होगा। राजनाथ सिंह अपनी ओर से प्रदेश अध्यक्ष के लिए धर्मपाल का नाम आगे बढ़ा रहे हैं, तो रामलाल कथीरिया के नाम का प्रस्ताव रख रहे हैं, तो वहीं अधिसंख्यक संघ नेताओं की राय स्वतंत्र देव सिंह के पक्ष में है, वे सिंह को प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष देखना चाहते हैं।

 
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