उद्धव का राज बेपर्दा हुआ

September 25 2017


मोदी व शाह द्वय द्वारा सियासत के हाशिए पर धकेल दिए गए उद्धव ठाकरे को अपने बागी भाई राज ठाकरे की याद आने लगी है। वैसे राज के अच्छे दिन भी रूठकर उनसे वापिस चले गए हैं और वे महाराष्ट्र की राजनीति में बदलते वक्त के साथ और भी गैर प्रासंगिक होते चले जा रहे हैं। त्रासद है कि राज के पुत्र एक असाध्य बीमारी से ग्रस्त बताए जाते हैं, सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों राज के पुत्र को देखने के लिए उद्धव अस्पताल पहुंचे। फिर दोनों भाईयों ने आपसी गिले-शिकवे भुलाकर देर तक बातचीत की। उद्धव ने अपने चचेरे भाई से आग्रह किया कि अब बहुत हुआ वे फिर से शिवसेना का हिस्सा बनें, तो पार्टी में उन्हें नंबर दो की जगह मिल जाएगी। कमोबेश राज इस बात के लिए तैयार दिखे, फिर उद्धव ने अपनी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को राज से निर्णायक बातचीत के लिए उनके पास भेजा, पर उद्धव की नुमाइंदगी कर रहे इन दोनों नेताओं ने राज के समक्ष कुछ ऐसी शर्तें रखीं जिसे सुनकर राज अपना आपा खो बैठे। इनमें से पहली शर्त्त थी कि शिवसेना में वापसी के अगले 3 वर्ष तक राज को पार्टी या सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा। और न ही वे अपने लोगों के लिए संगठन में पैरवी कर सकते हैं और न ही उन्हें आगामी किसी चुनाव में तीन वर्ष तक टिकट दिलवा सकते हैं, राज ने हुंकार भरी और उन दोनों सेना नेताओं को घुड़कते हुए कहा कि यानी आप मेरा इस्तेमाल सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए करना चाहते हो, पर बदले में कुछ देना नहीं चाहते।’ उद्धव तक राज का संदेशा चला गया है, अगर उद्धव को बात आगे बढ़ानी है तो उन्हें दो कदम आगे बढ़ना ही होगा।

 
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