हाथी भूखा नहीं |
December 08 2013 |
बहिनजी में बदलाव आया है, इस बार के चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पेशेवर रूख अपनाया है और इस बात का ध्यान रखा है कि जीत सकने वाले उम्मीदवारों को ही हाथी की सवारी गांठने का मौका मिले। सो, उन्होंने बसपा के बारे में प्रचलित इस अवधारणा को इस बार के चुनाव में तोड़ा कि बसपा का टिकट पैसे के दम पर ही मिलता है, बसपा का टिकट चाहने वाले अभ्यर्थियों से बहिन जी ने कोई डिमांड नहीं की बस इतना कहा कि जो भी पैसा लगाना है उन्हें अपने चुनाव पर ही लगाना है। क्या लोकसभा चुनाव तक यह परंपरा कायम रहेगी या हाथी का मुंह फिर से खुल जाएगा? |
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