एक नए गांधी का अभ्युदय

March 13 2016


गांधी परिवार के संस्कारों में पले-बढ़े सुल्तानपुर के भाजपा सांसद वरूण गांधी जानते हैं कि सियासत में जब प्रतिकूल वक्त हो तो किस दिशा चलनी चाहिए और अपने लिए कौन सी नई राह बनानी चाहिए। सो, इन दिनों देश के अलग-अलग अखबारों में उनके विचारोंत्तेजक लेख आ रहे हैं, संसद में वे गंभीर प्रश्न पूछ रहे हैं, कविता करना उनका सबसे प्रिय शगल है, लिहाज़ा इन दिनों उनका कवित्व उनके राजनेता पर कहीं ज्यादा हावी हो गया है, 13 मार्च को उनका जन्मदिन आता है, अपने जन्मदिन को मनाने का उन्होंने एक नायाब तरीका ढूंढा है, वे अपने जन्मदिवस के दिन यूपी में किसानों के बीच जा रहे हैं। वे मुरादाबाद के तीन गांवों धाकी, नीवाड़ खास और सरकारा परम जा रहे हैं, जहां वे उन किसान परिवारों को अपने संसदीय वेतन से 1-1 लाख की मदद की रकम का चेक सौपेंगे, जिन परिवारों के मुखियाओं ने खेती-किसानी से तंग आकर आत्महत्या कर ली हैं। सनद रहे कि वरूण पिछले वर्ष भी आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सीतापुर, सुल्तानपुर जैसे जिलों में जाकर किसान परिवारों की आर्थिक मदद कर चुके हैं। 1995 से पहले यूपी में किसानों की आत्महत्याओं के बारे में कभी सुनने को भी नहीं मिलता था, पर आज यूपी भी इस मामले में महाराष्ट्र के नक्शे कदम पर चल पड़ा है। अपनी एक कविता ’इन मॉय हार्ट’ (मेरे दिल में) में यह युवा गांधी कहते हैं-’मेरे हृदय में, मौत की सजावटी बानगियां हैं, पर मैं इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगा, मैं उठूंगा, चलूंगा और शीर्ष पर पहुंचूंगा।’

 
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