हर ओर किशोर का शोर |
November 17 2015 |
कभी नरेंद्र मोदी के बेहद करीबियों में शुमार होने वाले व चुनावी रणनीतियों बुनने में माहिर प्रशांत किशोर को मोदी दरबार से बाहर का रास्ता दिखवाने में अमित शाह की एक महती भूमिका मानी जाती है। 2014 के लोकसभा चुनाव मोदी को तूफानी जीत दिलवाने में प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीतियों का भी कमाल था, सूत्र बताते हैं कि साल 14 की एतिहासिक जीत के बाद किशोर अपने लिए कोई पारितोषिक चाहते थे और चाहते थे कि मोदी उन्हें नवगठित नीति आयोग में जगह दे दें, तब तक परिदृश्य में शाह की एंट्री हो जाती है और किशोर को मोदी दरबार से धकिया दिया जाता है, और वे चोटी-खोल चाणक्य की तरह नीतीश कैंप में इस संकल्प के साथ दाखिल होते हैं कि उन्हें शाह को जमीन दिखानी है, और इसमें वे कामयाब भी होते हैं। बिहार विजय को अमलीजामा पहनाने के बाद सियासी हलकों में प्रशांत किशोर की पूछ बढ़ गई है। इस गुरूवार न सिर्फ वे अरूण शौरी से मिले, अपितु माना जा रहा है कि उनकी गुप्त मुलाकात कांग्रेसी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी हुई। कहा जाता है कि ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों ने भी प्रशांत किशोर को मिलने का न्यौता भेजा है। वहीं प्रशांत नीतीश कुमार से पहले ही यह वादा कर चुके हैं कि आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में वे नीतीश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के लिए तमाम रणनीतियों बुनेंगे, वहीं नीतीश की ओर से भी प्रशांत से यह वादा हुआ है कि वे जदयू के कोटे से उन्हें राज्यसभा में भेजेंगे। यानी प्रशांत किशोर के अच्छे दिन आ गए हैं। |
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