स्वयंसिद्धा स्मृति |
September 18 2016 |
कभी छोटे परदे पर बेरोक टोक राज करने वाली स्मृति ईरानी ने सत्ता की सवारी गांठने में भी महारथ हासिल कर ली है। अपने अचूक सियासी दांव से विरोधियों को पल भर में चित्त करने का हौसला रखने वाली स्मृति ने राजस्थान के अलवर के एक कार्यक्रम में बकायदा इसे सिद्ध करके दिखा दिया। अलवर के उसी कार्यक्रम में स्मृति मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थीं, पर किसी कारणवश अलवर के स्थानीय भाजपा सांसद कांतिलाल भूरिया का नाम उस आमंत्रण पत्र में छपने से रह गया। भूरिया को उस कार्यक्रम में आमंत्रित भी नहीं किया गया था। लेकिन भूरिया जी कार्यक्रम में आए और माइक थामकर बाकायदा उन्होंने आयोजकों को कोसना शुरू कर दिया कि नए लोग आ गये हैं, जिन्हें इतनी भी औपचारिकताओं का निर्वहन करना नहीं आता कि स्थानीय सांसद का नाम भी कार्ड में छपना चाहिए। इसके बाद बोलने की बारी स्मृति की थी। उन्होंने अपनी अदभुत वाक् कला से सचमुच ही समां बांध दिया। बकौल स्मृति- “कांतिलाल जी मेरे बड़े भाई हैं, उन्होंने उत्तेजना में जो कुछ भी कहा, वे नहीं जानते थे कि उनके बाद मैं बोलने वाली हूं। रक्षाबंधन पर तो भाई बहन को कुछ देता है, पर यहां तो भाई इनविटेशन (आमंत्रण) मांग रहा है। प्रोटोकोल में लोकल एमपी को सिर्फ सूचित करने की परंपरा है, उन्हें बुलाया ही जाए, ऐसा कहीं नहीं लिखा है, और हर कार्यक्रम के कार्ड पर लोकल एमपी का नाम छपा हो, यह भी जरूरी नहीं। कहना न होगा, इसके बाद के स्मृतिमय माहौल में भूरिया जी के चेहरे की कांति मलिन पड़ चुकी थी। |
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