जाते-जाते रह गयी सिद्दारमैया की कुर्सी |
August 14 2016 |
कांग्रेस के लिए उनके कर्नाटक के सिरमौर सिद्दारमैया उनके गले की हड्डी बन गए हैं, सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने पिछले दिनों कर्नाटक का एक गुपचुप जनमत सर्वेक्षण करवाया है और इस सर्वेक्षण के नतीजों ने कांग्रेस हाईकमान की पेशानियों पर बल ला दिए हैं। इस सर्वेक्षण नतीजों में कहा गया है कि आज अगर कर्नाटक में चुनाव हो जाते हैं तो कांग्रेस के हिस्से 55 सीटों से ज्यादा नहीं आएंगी। फिर दिल्ली में कर्नाटक के बड़े नेताओं की एक बैठक आहूत हुई, इस बैठक में स्वयं सिद्दारमैया, मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली जैसे नेता शामिल हुए, बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी स्वयं कर रही थीं। इस बैठक में तय हुआ कि सिद्दारमैया अपनी कुर्सी किसी वोक्कालिंगा नेता के लिए छोड़ देंगे, जिनके अधीन दो लिंगायत नेताओं को डिप्टी सीएम का पद दिया जाएगा। इसके एवज में सिद्दारमैया को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया जाएगा और आम परंपराओं से अलहदा उन्हें कर्नाटक का प्रभारी भी नियुक्त किया जाएगा। उस बैठक में तो सिद्दारमैया कुछ नहीं बोले। पर सूत्र बताते हैं कि जब वे बैठक से बाहर निकल खड़गे की गाड़ी में बैठे तो उन्होंने कथित रूप से खड़गे से कहा-’आपके खून में कांग्रेस हो सकती है, पर मेरे खून में यह नहीं है, क्योंकि मैंने ज्यादातर वक्त कांग्रेस विरोध की राजनीति की है, अगर मेरे साथ कोई अन्याय होता है तो मेरे लिए भाजपा अछूत नहीं रह जाएगी। वे तो मुझे कैबिनेट मिनिस्टर बनाने को भी तैयार हैं।’ हतप्रभ रह गए खड़गे ने घर पहुंच कर, एक कमरे से चुपचाप सोनिया को फोन कर उन्हें सिद्दारमैया के इरादे बताए और कहा कि ’ले देकर हमारे पास एक ही बड़ा स्टेट कर्नाटक रह गया है, इस वक्त मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना ठीक नहीं रहेगा।’ सोनिया मान गई और सिद्दारमैया की कुर्सी सलामत रह गई। |
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