सर्वशक्तिमान को आत्मज्ञान

December 27 2015


बदले सियासी परिदृश्य में भाजपा सर्वशक्तिमान अरूण जेटली को एक नया आत्मज्ञान प्राप्त हुआ है, जिसका इजहार उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय की एक बैठक में अपने कुछ करीबी मित्रों के समक्ष कर भी दिया कि ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में ही असली मित्र की पहचान होती है। सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल और उनके साथियों पर मानहानि का मुकदमा दायर करने जब जेटली को पटियाला कोर्ट जाना था तो साथ चलने के लिए बकायदा उन्हें अपने कई ’चंपूओं’ को फोन करना पड़ा। और ये चंपूगण भी ऐसे थे, जो बस जेटली की कृपादृष्टि पाकर ही केंद्र में मंत्री बने थे। पर जब बाद में मीडिया और न्यूज चैनलों पर जेटली के बचाव की बारी आई तो निर्मला सीतारमण ने धीरे से नैरोबी की फ्लाइट पकड़ ली। पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान व भूपेंद्र यादव जैसे लोग जिन्होंने जेटली की कृपा मात्र से सफलता की इतनी सीढि़यां चढ़ी है, वे परिदृश्य से कन्नी काटते दिखे। यहां तक कि लोकसभा में कीर्ति आजाद ने जेटली की मौजूदगी में जब खुलकर डीडीसीए का मुद्दा उठाया तो उस वक्त संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू सदन से नदारद थे, ऐसे अहम वक्त फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा उनका था, पर वे चुपके से सदन से निकल कर शरद यादव के सरकारी निवास की ओर बढ़ लिए। जहां शरद यादव की ऊपर एक आत्मवृत्तामक पुस्तक रिलीज होनी थी, वेंकैया की गैर मौजूदगी में सदन को संभालने का जिम्मा राजीव प्रताप रूढ़ी का था, जो न अपनी जिम्मेदारी संभाल पाए और न ही कीर्ति को। यानी सियासी नेपथ्य में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो अब भी जेटली के मन को उद्वेलित कर रहा है।

 
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