सैंया भए कोतवाल…

January 03 2015


मोदी सरकार के एक पॉवरफुल मंत्री हैं जो कभी अडवानी के हनुमान में शुमार हुआ करते थे। उन्होंने अभी पिछले दिनों कैबिनेट की एक बैठक में अनोखा प्रस्ताव रखा, कि किसी भी बिल्डर के खिलाफ पीड़ित, उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा सकते, अपितु उपभोक्ताओं के शिकायत निपटारण के लिए एक ‘रेग्युलेटरी’ का गठन कर दिया जाए। इस पर सबसे पहले मेनका गांधी ने विरोध दर्ज कराया कि यानी ‘पीलीभीत में रहने वाले किसी व्यक्ति को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए नोएडा या लखनऊ आना पड़ेगा?’ फिर रामविलास पासवान, कलराज मिश्र, राधामोहन सिंह जैसे केंद्रीय मंत्रियों ने मेनका के सुर में सुर मिलाया कि ‘यानी सरकार बिल्डर्स को एक गरीब आदमी का पैसा मारने का हक देना चाहती है?’ जब विरोध के इतने प्रस्फुटन को पीएम ने महसूस किया तो उन्होंने अपने इस दुलारे कैबिनेट मंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, हालांकि पीएम पहले से जानते थे कि उनके इस मंत्री का बड़ा पैसा एक बिल्डर कंपनी में लगा है जो संभावनाओं के नए कमल खिलाने में माहिर है।

 
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