कांग्रेस के नए रणनीतिकारों में शुमार हुए प्रणब दा |
October 25 2017 |
कांग्रेस की गिरती साख को परवान चढ़ाने के लिए पार्टी को प्रणब मुखर्जी के तौर पर एक नया रणनीतिकार मिल गया है। वैसे यह बात अब किसी से छुपी नहीं रह गई है कि प्रणब दा की राहुल के मुकाबले प्रियंका से कहीं गहरी छनती है। प्रणब दा की हालिया रिलीज पुस्तक में भी इस बात का कहीं शिद्दत से जिक्र है कि कैसे जब यूपीए सरकार ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार किया था तो प्रणब दा इस बात को लेकर अपसेट हो गए थे। प्रणब दा इसी थ्योरी को लेकर फिर से सामने आए हैं कि कांग्रेस के अभ्युदय से लेकर यूपीए सरकार बनने तक कांग्रेस नेतृत्व का एक वर्ग ’सॉफ्ट हिंदुत्व’ को पोषित करता रहा है और ऐसे में हिंदुवादी नेताओं की कांग्रेस में एक पुरानी परंपरा रही है जो मदन मोहन मालवीय, कमलापति त्रिपाठी से लेकर नरसिंहा राव तक में देखी जा सकती है। राजनैतिक पर्यवेक्षक तो इस कड़ी में नेहरू, इंदिरा, संजय, राजीव और नरसिंहा राव को भी जोड़ने से नहीं चूकते। जब से कांग्रेस की बागडोर सोनिया गांधी के हाथों में आई उनकी सलाहकार मंडली में ईसाई और मुस्लिम नेताओं की तूती बोलती रही। यह सोनिया इफेक्ट ही माना जा सकता है जब उनके वफादार मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते एक अजीबोगरीब बयान दे दिया कि प्राकृतिक संसाधनों पर देश के मुसलमानों का पहला हक है। कांग्रेस की लोकसभा में हुई करारी हार को पारिभाषित करते एंटोनी कमेटी ने भी कमोबेश यही बात कही है कि कांग्रेस की छवि एक हिंदू विरोधी पार्टी की बन गई है। सो, भले ही कांग्रेस के मौजूदा तारणहार राहुल गांधी प्रणब दा के सीधे संपर्क में ना हों पर उनके कुछ नजदीकी सांसदों का नियमित तौर पर प्रणब दा से मिलना-जुलना हो रहा है, जो दादा का संवाद राहुल तक पहुंचा रहे हैं। शायद यह उस्ताद प्रणब की नसीहतों की परिणति थी कि राहुल गांधी अब मंदिरों में शीश नवाने पहुंच रहे हैं, अकेले गुजरात में राहुल दर्जन भर मंदिरों में जा चुके हैं। यानी कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व के जिस स्लॉट को पिछले 12-13 सालों में अनदेखा कर दिया था, अब उसकी भरपाई संभव है। |
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