मुख्तार के आगाज

January 03 2015


मोदी सरकार का हर बड़ा छोटा मंत्री अपने बॉस (मोदी) को खुश करने की जुगत भिड़ाने में जुटा है, मोदी का यकीन चूंकि पुरस्कार व दंड की नीति में है, चुनांचे उनके मंत्रिगण भी अपनी प्रो-एक्टिव इमेज को पीएम, जनता व मीडिया के समक्ष रखना चाहते हैं। मुख्तार अब्बास नकवी ने मोदी के एक अहम चुनावी नारे ‘मोदी सरकार, जनता के द्वार’ कोर् मूत्त रूप देने का बीड़ा उठाया है, वैसे भी मोदी खुद को प्रधानमंत्री के बजाए जनता का प्रधान सेवक कहते आए हैं। इस बाबत जब नकवी ने अपने अल्पसंख्यक मंत्रालय के पिछले 15 वर्षों के कामकाज की समीक्षा की तो पाया कि योजना मद में नियोजित और व्यय किए गए पैसे बमुश्किल ही हाशिए पर खड़े आखिरी आदमी तक पहुंच पाएं हैं, सो उन्होंने एक सुविचारित तरीके से ‘मिशन सशक्तिकरण योजना’ को अमलीजामा पहनाया है और देश भर के ऐसे 100 अल्पसंख्यक बहुल जिलों को चिन्हित किया है जहां अब तक संबंधित मंत्रालय 200 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च कर चुका है। अब मंत्री जी अपने दलबल के साथ इन चिन्हित जिलों में स्वयं जाकर जनता दरबार लगा रहे हैं और यह जानने-समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिरकार यहां सूरतेहाल बदली क्यों नहीं? ग्राउण्ड जीरो पर बदलाव की आहट क्यों नहीं सुनाई दे रही? मंत्रालय द्वारा तय अल्पसंख्यक विकास के 15 सूत्री कार्यक्रम को कैसे परवान चढ़ाया जा सकता है? नव वर्ष 2015 से नकवी ने बकायदा अपने इस अभियान का आगाज कर दिया है, पर अंजाम तक का सफर अभी लंबा है।

 
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