…और अंत में |
January 25 2014 |
दिल्ली का राज-काज चलाने में भले ही अरविन्द केजरीवाल उतने चुस्त-दुरूस्त न दिख रहे हों पर उनके नाम, रसू$ख और उसूल का डंका हर तरफ बज रहा है, पिछले दिनों नई दिल्ली के प्रगति मैदान के पास एक बिजनेसमैन की लंबी चमचमाती कार ने रेडलाइट जंप कर दी तो आगे टै्रफिक पुलिस वालों ने उन्हें रोका, टै्रफिक इंस्पेक्टर ने बिजनेसमैन से पूछा किसके हक में हो, केजरीवाल या कांग्रेस? बाद में उन्हें से इसका अर्थ भी समझाया गया कि ‘केजरीवाल यानी सीधे हजार रुपए का चालान भरो, कांग्रेस यानी 100 रुपए की रिश्वत ट्रैफिक पुलिस की जेब में डालो और चलते बनो।’ (एनटीआई) द्दशह्यह्यद्बश्चद्दह्वह्म्ह्व.द्बठ्ठ |
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