देश को मिल सकता है नया विदेश मंत्री

July 01 2020


भारतीय-चीनी सेना के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की चुप्पी को लेकर हमारी कूटनीति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। स्वयं पीएम ने अन्य देशों से भारत के रिश्ते बेहतर करने के लिए दुनिया भर के चक्कर लगाए, कुछ इतना कि राहुल गांधी उन्हें ‘टूरिस्ट पीएम’ कहने लगे। लेकिन गलवान की हिंसक झड़प के बाद जब भारत अंतरराष्ट्रीय समर्थन की बाट जोह रहा था तो उसका सबसे नजदीकी माने जाने वाला कथित मित्र अमेरिका भी चार दिन बाद बोला, वह भी बेहद नपा-तुला। वहीं जब पुलवामा पर हमारे जवानों पर पाक का अटैक हुआ था तब सुषमा स्वराज हमारी विदेश मंत्री थीं, कहते हैं कि उनकी प्रयासों के बदौलत तब अमरीका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस यहां तक की चीन, सऊदी अरब, श्रीलंका, बांग्लादेश समेत 48 देश भारत के साथ खड़े थे। जब भारत-भूटान-तिब्बत बार्डर पर हमारा चीन के साथ डोकलाम विवाद हुआ तो जापान जैसे देशों ने खुल कर चीन को आड़े हाथों लिया था और डोकलाम मुद्दे पर हमें दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का खुल कर समर्थन मिला था। सुना जा रहा है कि पीएम इस मुद्दे पर गंभीरता से विमर्श कर रहे हैं कि हमारी विदेशी नीति की बागडोर क्या किसी राजनैतिक व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए, खबर गर्म है कि नौकरशाह से नेता बने एस जयशंकर का विकल्प ढूंढा जा रहा है।

 
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