शाह की शह काम आई

January 24 2022


सिप्रा दास दिल्ली के फोटो जर्नलिस्टों की जमात का एक जाना-पहचाना चेहरा है। इन्हें देश की पहली फोटो जर्नलिस्ट में भी शुमार किया जाता है, नेत्रहीन व्यक्तियों पर केंद्रित उनकी कॉफी टेबुल बुक भी काफी चर्चा में रही है। पिछले दिनों सिप्रा ने दिल्ली के लक्ष्मी नगर से नोएडा स्थित अपने घर आने के लिए एक शेयर ऑटो लिया, साथ में उनका कैमरा बैग भी था। जब घर पहुंच कर सिप्रा ने अपना बैग खोला तो देखा तो उनके होश फाख्ता हो गए, उनके बैग से तमाम कैमरे और महंगे लेंस गायब थे और उसकी जगह बैग में ईंट पत्थर भरे हुए थे। सिप्रा के कैमरे की कीमत कम से कम 7-8 लाख रूपए तो जरूर रही होगी। इस महिला फोटो जर्नलिस्ट ने आनन-फानन में पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई, गृह मंत्रालय को अपनी लिखित शिकायत भेजी, पुलिस थाने के खूब चक्कर काटे, पर कुछ हुआ नहीं। एक दिन वह संसद भवन स्थित गृह मंत्री अमित शाह के दफ्तर जा पहुंची, शाह जब अपने दफ्तर से सदन जाने के लिए बाहर निकले तो सिप्रा ने झट से उन्हें अपना प्रतिवेदन पकड़ा दिया, यह कहते हुए-’फोटोग्राफी ही मेरी लाइफ है, जब कैमरा ही चोरी चला गया तो 7-8 लाख के कैमरे मैं दुबारा से कैसे खरीद पाऊंगी।’ अमित शाह ने बगैर कुछ बोले सिप्रा के हाथों से कागज लिया और वे आगे बढ़ गए। पर जब इसके बाद भी कोई जबाव नहीं आया तो निराश शिप्रा अपने गृह शहर कोलकाता लौट गई। एक सप्ताह के अंदर सिप्रा को दिल्ली के क्राइम ब्रांच से फोन आता है कि उनका कैमरा शाहदरा के एक घर से बरामद हो गया है, वह फौरन दिल्ली आ जाएं और कोर्ट से अपना कैमरा ले लें।’ सिप्रा समझ चुकी थीं कि देश के गृह मंत्री ने बिना कुछ बोले उनका इतना बड़ा काम कर दिया है।

 
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