मुकुल चुभा सकते हैं शूल

May 22 2021


बंगाल की बोसीदा भगवा हवाओं से सीली बारूदों की गंध आ रही है। दीदी के शपथ लेने के बाद जब नव निर्वाचित भाजपा विधायकों की पहली बैठक हुई तो उनमें से मुकुल राय नदारद थे। बैठक की नुमांइदगी कर रहे दिलीप घोष ने विधायकों को बताया कि मुकुल दा को अचानक कृष्णानगर नार्थ अपने निर्वाचन क्षेत्र जाना पड़ा है, क्योंकि वहां से हिंसा की खबरें आ रही थीं। जाहिर है नव निर्वाचित भगवा विधायक घोष की बातों से इत्तफाक नहीं रखते थे, क्योंकि कुछ दिन पहले ही मुकुल राय को दीदी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तृणमूल के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी के साथ घुल-मिल कर हंसते-बोलते देखा गया था। बंगाल चुनावों में भाजपा शीर्ष ने जिस तरह शुभेंदु अधिकारी को ज्यादा महत्व दिया उससे मुकुल नाराज़ बताए जाते हैं। यहां तक कि इन चुनावों में भी भाजपा की ओर से उन्हें कोई महती जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी, जबकि सन् 18 के पंचायत चुनावों में और 19 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी ने उन्हें चुनाव समिति में अहम जिम्मेदारी दी थी। कहते हैं एक बार जब अमित शाह कोलकाता में थे तो मुकुल ने उनसे कहा था कि ’बंगाल चुनाव सांप्रदायिक आधार के बंटवारे से नहीं जीता जा सकता है’ तो कथित तौर पर शाह ने उन्हें झिड़क दिया था। मुकुल तो इस बार का विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ना चाहते थे, पर शाह के आदेश की उन्हें तामील करनी पड़ी। मुकुल जब तक तृणमूल कांग्रेस में थे वहां वो ‘मास्टर स्ट्रेजिस्ट’ थे, ममता ने भी अपनी चुनावी रैलियों में कभी मुकुल पर सीधा निशाना नहीं साधा, क्या यह इस बात के संकेत है कि मुकुल कभी भी अपने समर्थक विधायकों के साथ अपने पुराने घर लौट सकते हैं?

 
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