’जब धू-धू कर जले थे सारे अरमान मेरे
माचिस की डिब्बियों पर थे निशान तेरे’
अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को भी बखूबी इस बात का इल्म है कि इस बदलते दौर की सियासी लड़ाई के दंगल में उसके सामने जो योद्धा खड़ा है वह कौन है? उसकी सिद्दहस्ता क्या है? और क्यों वह बार-बार उसे ‘धोबिया पाट’ देने में सक्षम है। प्रतिद्वंद्वी योद्धा ने मीडिया को अपनी चेरी बनाया हुआ है जो उसके पक्ष की आधी लड़ाई तो खुद ही लड़ लेती है। जयराम रमेश ने जब से कांग्रेस के मीडिया प्रबंधन के कार्यभार को संभाला है वे लगातार इसके चाल-चेहरे व चरित्र को मुस्तैद और दुरूस्त बनाने की कोशिशों में जुटे हैं, पर उनके ही अपने सिपहसालार चूक रहे हैं। गुरुवार को ईडी दफ्तर में सोनिया गांधी की पहली पेशी होनी थी, कांग्रेस ने देशव्यापी प्रदर्शन की रूपरेखा पहले से तय कर रखी थी, संसद कवर कर रहे पत्रकारों, फोटो व वीडियो जर्नलिस्ट को बाखबर करते कांग्रेस के कम्युनिकेशंस इंचार्ज विनीत पूनिया का संदेशा आता है कि सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में कांग्रेस के लोकसभा और राज्यसभा के सांसदगण पार्लियामेंट हाउस से गुरूद्वारा रकाबगंज तक पैदल मार्च करेंगे, जहां पहले से बसें खड़ी होंगी, फिर ये सभी बसों में सवार होकर अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए ईडी ऑफिस तक जाएंगे, यह भी कहा गया कि सांसदों के इस मार्च का नेतृत्व स्वयं राहुल गांधी स्वयं करेंगे। दरअसल संसद भवन में कई द्वार हैं, रकाबगंज गुरूद्वारा वाले रास्ते तक संसद के अंदर ही अंदर से पहुंचा जा सकता है। तब पूनिया ने पत्रकारों को बताया कि यह मार्च गेट नंबर चार पर आएगा। पूरी मीडिया, टीवी कैमरे सब गेट नंबर चार पर मुस्तैद थे, अचानक मीडिया वालों को खबर मिली कि मार्च गेट नंबर एक से निकल रहा है, सारे मीडिया वाले भागे-भागे गेट नंबर एक पर पहुंचे तो देखा उस मार्च से राहुल गांधी ही नदारद हैं। राहुल सीधे अपनी गाड़ी से दस जनपथ चले गए थे, वहां से वे अलग गाड़ी में ईडी ऑफिस पहुंचे, सोनिया व प्रियंका एक ही गाड़ी में साथ ईडी ऑफिस के लिए निकलीं। विजुअल मीडिया इंतजार करता रहा पर वे उन मुफीद पलों को अपने कैमरों में कैद नहीं कर पाए। क्या यह कांग्रेस के मीडिया मैनेजमेंट की नाकामी है?